baba haridas ka rup
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answer hai
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तब बालक बैजू ने बाबा को बताया था कि उसे अब बदले की भूख है। वे उसकी इस भूख को मिटा दें। बाबा हरिदास ने उसे वचन दिया था कि वे उसे ऐसा हथियार देंगे, जिससे वह अपने पिता की मौत का बदला ले सकेगा। बाबा हरिदास ने बारह वर्षों तक बैजू को संगीत की हर प्रकार की बारीकियाँ सिखाकर उसे पूर्ण गंधर्व के रूप में तैयार कर दिया।
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बाबा हरिदास का रूप साधुओं जैसा था। उन्होंने बैजू बावरा को संगीत की शिक्षा दी थी।
- बैजू बावरा के पिता को मृत्यु दण्ड प्राप्त हुआ था क्योंकि वे संगीत प्रतियोगिता में तानसेन का मुकाबला नहीं कर पाए थे।
- उसी दिन से बालक बैजू ने यह निर्णय लिया कि वे अपने पिता की मृत्यु का बदला अवश्य लेंगे।
- वे बाबा हरिदास जी के पास गए व उन्हें अपनी व्यथा सुनाई , उन्होंने उनसे विनती की कि बाबा हरिदास उनकी बदले की भूख मिटाएं।
बैजू बावरा का बचपन व संगीत साधना
- बाबा हरिदास ने अनेक वर्षों तक बालक बैजू को संगीत की शिक्षा दी व इस योग्य बनाया कि संगीत साधना में कोई उसका सानी न हो। बाबा हरिदास ने उसे गंधर्व रूप दे दिया।
बैजू की तानसेन के साथ संगीत प्रतियोगिता
- बैजू बावरा अब बड़ा हो गया था , तानसेन व बैजू के बीच संगीत प्रतियोगिता रखी गई व वर्षों से चले आ रहे नियमों के अनुसार हारने वाले को मृत्यु दण्ड दिया जाना था।
- संगीत प्रतियोगिता में बैजू ने संगीत सम्राट तानसेन को हरा दिया, तानसेन बैजू के चरणों में गिर पड़ा है कि उसे प्राण दान दिया जाए, बैजू ने उसे क्षमा किया , उसे प्राण दान दिए व जीत की एवज में यह नियम रद्द करवाया कि हारने वाले को प्राणदंड दिया जाएगा।
- इस प्रकार बैजू ने तानसेन का अहंकार चूर - चूर किया।
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