Babar ke aaakrman ke samy bharat ki rajnitik dasha ka wardan kijea
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1526 ई. से लेकर 1556 ई. तक का भारत का इतिहास मुख्यतः इस भूमि पर प्रभुता स्थापित करने के लिए मुग़ल अफगान-संघर्ष की कहानी है। भारत पर जो पहले मुग़ल (मंगोल) आक्रमण हुए थे, उनका दो बातों को छोड़ और कोई स्पष्ट फल नहीं निकला। इन आक्रमणों से नये मुसलमानों के बसने के फलस्वरूप भारतीय आबादी में एक नया तत्व जुड़ गया जो समय-समय पर तुर्क-अफगान सुल्तानों के लिए समस्याएँ खड़ा करता रहा। पर तैमूर के, जिसने साम्राज्य के एक प्रांत पंजाब पर अधिकार कर लिया था, आक्रमण से ह्रासोन्मुख सल्तनत के पतन की गति तीव्र हो गयी। उसके एक वंशज बाबर को उत्तरी भारत की क्रमबद्ध विजय करने का प्रयत्न करना तथा इस प्रकार यहाँ एक नये तुर्की राज्य की स्थापना करना बदा था। यह राज्य उसके पुत्र एवं उत्तराधिकारी हुमायूँ के समय में अफगान पुनरूत्थान के कारण हाथ से निकल गया तथा 1556 ई. तक पुन: अधिकार में आया, जिसे अकबर ने धीरे-धीरे बढ़ाया। वास्तव में भारत की मुग़ल-विजय के इतिहास में तीन अवस्थाएँ थीं। पहली अवस्था (1526-1540 ई.) हुमायूँ के शासनकाल से आरम्भ हुई, जिसने मालवा, गुजरात एवं बंगाल को वशीभूत करने के असफल प्रयास किये, पर शेरशाह द्वारा भारत से भगा दिया गया। इसका मतलब था अफगान शक्ति का पुनरुत्थान। तीसरी अवस्था में (1545-1556 ई.) हुमायूँ द्वारा मुग़ल राज्य का पुन: स्थापन एवं अकबर द्वारा उसका दृढ़ीकरण हुआ।