baby halder story in hindi
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Kashmir की हरीभरी घाटियों में आंख खोलने वाली ”Baby Halder” Canvas पर जब भी रंग बिखेरती एक ऐसी तस्वीर ज़रूर बन जाती थी जो जीवन के पहिए को आगे बढ़ाने में सहायक होती. अचानक एक दिन सब कुछ बदल गया. उसे लगा दुनिया पहले जैसी नहीं रही. Canvas से सारे रंग गायब हो गए हैं. एक काला धब्बा दिखाई दिया सारे रंग पर अंधेरे का साया पड़ गया उसकी जिंदगी उसकी न रही. कच्चे रंगों से खेलते खेलते वे यह समझ बैठी थी कि यही मेरे दुख सुख के साथी हैं.
बचपन का दालान पार करने से पहले वह माँ के प्यार से वंचित हो गई थी. अब उसके खेलने कूदने के दिन थे कि सौतेली माँ और सगे पिता ने एक कट्टरपंथी व्यक्ति से उसकी शादी कर दी. ब्याह के समय वह जीवन के बारहवें वर्ष में थी अगले साल वह माँ बन गई. पंद्रह साल की उम्र में उसकी गोद में तीन बच्चे थे.फिर क्या हुआ? क्या Baby Halder घरेलू ज़मेदारयों का बोझ ढोते-ढोते गरीबी की तनी हुई रस्सी पर चलते चलते बेचारगी के त्रासदी का शिकार हो गई? ऐसी त्रासदी जो इस क्षेत्र की महिला के भाग्य का हिस्सा है. ऐसा होना अपेक्षित था मगर ऐसी हुआ नहीं. अपने बेतरतीब उजड़े बचपन, जनजीवन से टकराती जवानी और गरीबी के भययोग्य साये को पछाड़ते, झाडू पोंछा हाथ में लिए ‘अपने कलम से शब्दों की मजदूरी करते वह साहित्य की दुनिया में ऐसा सितारा बनकर चमकी कि इसे पढ़ने वाले उसके घर में झांकने लगे, उन्होंने उसकी जिंदगी को टटोलने की कोशिश की तो उन्हें पता चला कि Baby Halder अपनी पलकों पर ठहरे आंसुओं और यादों के कारवां की ऐसी नाव में सवार थी जिसमें अन्याय का बोझ इतना अधिक था कि समुद्र की सतह पर तैरते रहना और समुद्र के तट तक पहुंचा बेहद मुश्किल था. फिर कैसे उसने नाव पार कर ली? आज ऊंचे ऐवानों से लेकर झापड़िय विक्रेताओं तक पंच तारा होटल के हाल्स में बैठकर हुकुम चलाने वालों से लेकर बैलों को हांकने वाले किसानों तक एक ही सवाल चर्चा में है कि गरीबी के साये में जवान होने वाली बेबी हील्डर आखिर लेखक कैसे बन गई?इस सवाल का जवाब उसके पुस्तक में मिल जाएगा. सरल अंदाज़ में लिखा गया यह पुस्तक जिसका नाम ”अंधेरा उजाला” है, बाजार में आई तो पहला संस्करण रोटी के टुकड़ों की तरह बिक गया. प्रकाशक ने दूसरा फिर तीसरा संस्करण भी छाप दिया. यह स्थिति जानकर हील्डर आंखों में नई सुबह की चमकदार किरणें छा गईं और माथे पर दृढ़ संकल्प का उजाला.आखिर किसने उसे लिखने के लिए प्रेरित किया? किस चीज़ ने उसे उकसाया कि वह कागज़ के पन्नों पर पर शब्दों को बिखेरे दे उसके पुस्तक का पन्ना-पन्ना पढ़ने से पहले हम उसके अतीत में झांकते हैं.
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priyasanadhyaps18:
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