Bache kaam par jaa rhe kavita ki kavya shaili yani uski bhasha kya hai???
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"बच्चे काम पर जा रहे हैं" यह कविता बाल मजदूरी की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करती है। ... गरीब बच्चों को खेलने-कूदने और पढ़ने की उम्र में मजदूरी करने के लिए विवश होना पड़ता है। गरीबी के कारण माता-पिता बच्चों से उनका बचपना छीनकर उनके हाथों में काम सौंप देते हैं। कवि राजेश जोशी हमारे समाज में व्याप्त इस समस्या से आहत हैं।
"बच्चे काम पर जा रहे हैं" कविता में कवि ने बच्चों के काम पर जाने की समस्या को प्रमुखता से उभारा है। उन्होंने समाज से प्रश्न किया है कि ऐसा क्या हो गया कि बच्चों को पढ़ने-लिखने की उम्र में काम पर जाना पड़ रहा है। ... कवि को समाज की यह संवेदनहीनता और भावशून्यता बड़ी ही भयानक लगती है।
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