Hindi, asked by pradeepv9684, 1 year ago

Bacho ki shiksha mein mata pita ki bhumika essay in hindi

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Answered by Tsuparna
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*मात-पिता गुरु आत्मीय, दें सनातन ज्ञान।
बनके ना रह जाए कभी, बेटा पराए समान।।*

शैशव यौवन का जनक है , इसलिए बच्चों को सही शिक्षा सही समय पर  मिले इस बात का पूरा दारोमदार माता पिता पर होता है । वे ही अपने बच्चे के मार्ग दर्शक होते है ।

बच्चे का सबसे पहला विद्यालय उसका घर और सबसे पहले गुरु उसके माता-पिता होते हैं। शिशु शुरुआती अवस्था में अपने माता-पिता से ही सारी क्रियाएं सीखता है और अपना ज्ञान अर्जित करता है। माता-पिता न सिर्फ बच्चों को अच्छी शिक्षा देते हैं बल्कि सही-गलत की पहचान कराते हुए बच्चों का स्वर्णिम भविष्य बनाने का भी काम करते हैं। बच्चे माता-पिता का मार्गदर्शन पाकर सभी कठिनाईयों पर विजय पाते हुए अपने सपने को साकार करते हैं। दरअसल माता-पिता के व्यवहार और क्रियाओं का उनके बच्चों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। यदि घर में कुछ गलत होता है तो बच्चे गलत सीखते हैं। इसी तरह यदि घर का वातावरण सही होता है तो बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलती है। इसलिए सबसे पहले माता-पिता की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।
Answered by Cricetus
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दिए गए संदर्भ के अनुसार सारांश नीचे संक्षेप में दिया गया है।

Explanation:

  • एक मां स्कूली शिक्षा, स्वभाव के रूप में के रूप में अच्छी तरह से शिशु की जरूरतों में संलग्न है ।  
  • पिताजी को घर की सामग्री आवश्यकताओं पर निर्भर लगता है और यह भी सत्तावादी पितृत्व भर में अपने बच्चे के विकास के दौरान संलग्न है और साथ ही उंहें आर्थिक रूप से समर्थन करते हैं ।

हर मामले में पिता और मां ने एक जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में बच्चे की परवरिश के लिए संयुक्त प्रतिबद्धता की है।

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https://brainly.in/question/16991282

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