bachpan ke samaye me lekhak v uske saathi shiksha me adhik ruchi nhi lete the jiske karan kuch had tak unke mata pita the. iss kathan ke sandharbh me likhe?
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बचपन के समय में लेखक व उनके साथी में अधिक रूचि नहीं लेते थे जिसके कारण कुछ हद तक उनके माता-पिता थे ?
उत्तर : बचपन के समय में लेखक व उनके साथी में अधिक रूचि नहीं लेते थे जिसके कारण कुछ हद तक उनके माता-पिता थे , क्योंकि बच्चों के माता-पिता की सोच अलग थी | वह अपने बच्चों को स्कूल भेजना जरुरी नहीं समझते थे। वे कहते थे कि जब उनका बच्चा थोड़ा बड़ा हो जायगा तो पंडत घनश्याम दास से हिसाब-किताब लिखने की पंजाबी प्राचीन लिपि पढ़वाकर सीखा देंगे और दुकान पर खाता लिखवाने लगा देंगे। इसी कारण उनके माता-पिता ज्यादा रूचि नहीं लेते थे |
Answer:
बचपन के समय में लेखक व उनके साथी में अधिक रूचि नहीं लेते थे जिसके कारण
कुछ हद तक उनके माता-पिता थे , क्योंकि बच्चों के माता-पिता की सोच अलग थी | वह
अपने बच्चों को स्कूल भेजना जरुरी नहीं समझते थे। वे कहते थे कि जब उनका बच्चा
थोड़ा बड़ा हो जायगा तो पंडत घनश्याम दास से हिसाब-किताब लिखने की पंजाबी
प्राचीन लिपि पढ़वाकर सीखा देंगे और दुकान पर खाता लिखवाने लगा देंगे। इसी
कारण उनके माता-पिता ज्यादा रूचि नहीं लेते थे |