Hindi, asked by Brainstorm5073, 1 year ago

bachpan ki madhur smritiya in hindi

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Answered by bhaveshdhande
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बचपन के दिन किसी भी व्यक्ति के जीवन के बड़े महत्वपूर्ण दिन होते हैं । बचपन में सभी व्यक्ति चिंतामुक्त जीवन जीते हैं । खेलने उछलने-कूदने, खाने-पीने में बड़ा आनंद आता है ।

माता-पिता, दादा-दादी तथा अन्य बड़े लोगों का प्यार और दुलार बड़ा अच्छा लगता हैं । हमउम्र बच्चों के साथ खेलना-कूदना परिवार के लोगों के साथ घूमना-फिरना बस ये ही प्रमुख काम होते हैं । सचमुच बचपन के दिन बड़े प्यारे और मनोरंजक होते हैं ।

मुझे अपने बाल्यकाल की बहुत-सी बातें याद हैं । इनमें से कुछ यादें प्रिय तो कुछ अप्रिय हैं । मेरे बचपन का अधिकतर समय गाँव में बीता है । गाँव की पाठशाला में बस एक ही शिक्षक थे । वे पाठशीघ्र ही मेरे मित्र ने मुझे सहारा देकर जल से बाहर खींचा । इस तरह मैं बाल-बाल बचा । इस घटना का प्रभाव यह पड़ा कि इसके बाद मैं कभी भी तालाब में नहाने नहीं गया । यही कारण है कि अब तक मुझे तैरना नहीं आता है ।

बचपन की एक अन्य घटना मुझे अभी तक याद है । उन दिनों मेरी चौथी कक्षा की वार्षिक परीक्षा चल रही थी । हिंदी की परीक्षा में हाथी पर निबंध लिखने का प्रश्न आया था । निबंध लिखने के क्रम में मैंने ‘चल-चल मेरे हाथी’ वाली फिल्मी गीत की चार पंक्तियाँ लिख दीं ।

इसकी चर्चा पूरे विद्यालय में हुई । शिक्षकगण तथा माता-पिता सभी ने हँसते हुए मेरी प्रशंसा की । परंतु उस समय मेरी समझ में नहीं आया कि मैंने क्या अच्छा या बुरा किया । इस तरह बचपन की कई यादें ऐसी हैं जो भुलाए नहीं भूल सकतीं । इन मधुर स्मृतियों के कारण ही फिर से पाँच-सात वर्ष का बालक बनने की इच्छा होती है । परंतु बचपन में किसी को पता ही कहाँ चलता है कि ये उसके जीवन के सबसे सुनहरे दिन हैं । याद न होने पर बच्चों को कई तरह से दंड देते थे ।..
Answered by Priatouri
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बचपन के वह दिन बहुत याद आते हैं जो अब कभी लौट कर नहीं आ सकते I बचपन की शैतानी, हंसी-मजाक, खेलकूद सब कुछ बहुत याद आते हैं I अब हम किसी बच्चों को खेलते देखते हैं तो अपना बचपन याद आ जाता है I बचपन में किसी चीज की चिंता ना थी I बस अपने आप में खुश रहते थे I मित्रों के साथ शरारत ही करते थे I गली में हल्ला मचाते थे पूरा दिन टीवी में कार्टून शक्तिमान आदि देखना सब मेरे बचपन की यादे हैं I बचपन में हम अनेकों खेल खेलते थे जैसे गिल्ली-डंडा, छुपन-छुपाई, उच्च नीच का पापड़ा के साथ साइकिल पर जाना छोटी-छोटी बातों पर रोना और अपनी बातें मनवाना I स्कूल ना जाने के लिए बहाने ढूंढना।दादी नानी से कहानियां सुनना, सच में बहुत याद आता है बचपन।

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