Bachpan mein ghati kisi romanchak ghatna varnan
Apne shabdon mein kijiye in hindi
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बचपन !!! इस शब्द मात्र से मेरे बचपन की वो सारी यादें ताजी हो जाती है ।आज से १५ वर्ष पहले मेरा जन्म कानपूर के एक छोटे से कस्बे में हूआ । माँ कहा करती है , कि पिताजी मेरे जन्म होने से काफी खुश थे। उत्सव मनायी गयी थी । वैैसे उस समय घर में क्या हो रहा था , ये तो खायी।
वल माँ ने जो कहा वही कह सकती हूँ । धीरे -घीरे समय बीता और मै ३-५ वर्ष का हो गया । इस समय की कुछ बीतें याद है मूझे , मेरे पापा अपने कंधे पर बैठा कर बाजार ले जाया करते थे , और मै इस तरह बैठा रहता मानो दूनिया का सबसे खूशी व्यक्ति मै ही हूँ । माँ के हाथो से भोजन करना , दूलार करना , सीने से लगाकर सूलाना , मनमोहक कहानियाँ सुनाना । आज भी याद आने पर खुशी के आँसू टपक परते हैं । धीरे -धीरे मे ६-८ वर्ष का हो गया । उफ, स्कुल जाना । ये काफी उबाउ काम था। क्योकि माँ हर रोज ५:०० बजे उठा देती थी। गूस्सा इतना आता था कि पूछो मत। खैर वो जो भी किया करती थी । मेरे भलाइ के लिये था ।लेकिन उस समय इतनी बुद्धी कहां , केवल खेल-खेल ,हा -हा -हा। मुझे याद है एक बार मैने खेलते वक्त एक दोस्त की हाथ तोङ दी थी। पापा ने बहूत पीटा था। लेकिन माँ के दूलार सारे दर्द छू मन्तर हो गया था । लेकिन रात को जब मे सोया था , पापा मेरे सिर पर अपने हाथ फेर रहे थे । शायद उन्हे अफसोस हो रहा था । क्योंकि मै उनके आँखो का तारा जो था। लेकिन उस दिन के बाद से मुझे याद नही है ,कि मैने पापा से दोबारा पिटायी खायी।
मेरे चाचा महाविद्यालय के शिझक है । इसिलिए मुझे चाचा के साथ भेज दिया । क्योंकि वो शिझक है , तो जाहिर सी बात है , पढने वाले ही उन्हे पसंद आएँगे ना , और मूझे न चाहते हुए भी पढना पङता था । वो हमेशा बूद्ध या गधा कहकर पूकारते थे ।
मूझे बिल्कूल अच्छा नही लगता था । इसिलिए मै घँटो पढा करता । मै अपने कझा मे हमेशा अव्वल आता था , तबपर भी चाचा कोइ-न -कोइ दोष निकाल हि देते थे । आज भी वो वैसे ही हैं । खैर मै अब समझने लगा हूं कि वो मूूझे केवल बेहतर नही उत्कृष्ट श्रेणी में देखना चाहते है।
मेरी माँ कहती है कि मै ज्यादा दोस्त बनाना पसँद नही करता था । मुझे भी ये सही लगता है , क्योंकि मुझे बचपन के देस्तो के बारें मे याद नही है ।
लेकिन फिर भी मै बहुत खुश रहता हूँ क्योंकि मैने अपने बचपन को माँ -पापा के साथ जीया है
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All have different bachpan
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