Hindi, asked by Brainychild, 1 year ago

Bachpan par adharit 2 kavita

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Answered by khushi210
3
hey dear
here is ur poem
वो बचपन की बस्ती, मासूमियत भरी मस्ती!!
जब खुशियाँ थी सस्ती, अपनो का प्यार
अनोखा सा वो संसार, सपनों की बहती थी जहाँ कश्ती
अपनी खुशबू से अनजान, कस्तूरी-हिरण सी वो हस्ती
वो बचपन की बस्ती, मासूमियत भरी मस्ती!!
आँखों में चमक, अंदाज में धमक
खिलखिलाहट से गुंज उठती थी खनक
बातों में होती थी चहक, अपनेपन की खास महक
वो बचपन की बस्ती, मासूमियत भरी मस्ती!!
सवालों के ढेर, खेलने के फेर
किसी से नहीं होता था कोई बैर
शिकवे-शिकायतों की आती ना थी भाषा
ना था अपने-पराए का भेद जरा सा
वो बचपन की बस्ती, मासूमियत भरी मस्ती!!

khushi210: thnks u soo much
Brainychild: ur wlcm
Answered by Vikas8935
0
*.वो बचपन का दौर जो बीता
जिंदगी का सबसे पल था वो मीठा
कितनी प्यारी लगती थीं दादी और नानीजो हमको सुनाती थीं किस्से और कहानी छोटी सी खुशीयों में हँसना रो देना चोट जो लगी घर वाले भी हमसे करते थे दिल्लगी कहते मीठा फिर खिलाते जो तीखा वो बचपन का दौर जो बीता जिंदगी का सबसे पल था वो मीठा कभी बनना था डॉक्टर कभी बनना था शायर पल हर पल बदलते थे सपने कोई थे भैया, कोई थे चाचाहर कोई जैसे हों अपने छोटी सी मुश्किल में चेहरा होता जो फीका वो बचपन का दौर जो बीता जिंदगी का सबसे पल था वो मीठा पापा से डरना पर माँ से जो लड़ना करके गुस्ताखी फिर उलझन में पड़ना ना कोई गम था ना कोई डर था बस खेल-खिलौनों का फिक़र था बचपन का हर पल होता है अनूठा वो बचपन का दौर जो बीता जिंदगी का सबसे पल था वो मीठा

Brainychild: it is from internet
Vikas8935: then
Brainychild: I already got this poem from an answer
Vikas8935: ohh
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