Bachpan Se Dur Hote bache par project taiyar kijiye
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बचपन को अक्सर जीवन के ऐसे हिस्से के रूप में देखा जाता है जो हर तरह के तनाव, परेशानी दुराग्रहों और नकारात्मक सोच से दूर बेपरवाह किस्म का होता है। परंतु बदलते वक्त ने बचपन की उस मासूमियत को छीन लिया है।
टेक्नोलॉजी के बढ़ते दायरे ने बच्चों को बड़ी आसानी से अपनी चपेट में ले लिया है, आज वो लुकन-छुपाई, रस्सीकूद, खो-खो जैसे टीमवर्क वाले खेलों से दूर होकर मोबाइल, इंटरनेट और विडीयो गेम्स में उलझे हुए एकाकी जीवन बिता रहे हैं। बचपन की प्राकृतिक समझ और विकास पर टेक्नोलॉजी ने जो असर डाला है वह अपूर्णीय क्षति है। उनके मानसिक विकास की गति शारीरिक विकास को पीछे छोड़ चुकी है, यदि ऐसा कहा जाए कि गैजेट्स के जमाने मे बच्चे बहुत जल्दी बड़े हो रहे हैं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
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