Badal Barsat kaise karte hain
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आपको रिमझिम बारिश में भीगना और बारिश के पानी में कागज की नावें तैराना तुम्हें जरूर अच्छा लगता होगा। बारिश हमारी धरती और पर्यावरण को पानी की आपूर्ति ही नहीं करती, यह मानव, पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों के लिए फायदेमंद भी है। लेकिन कभी-कभी बारिश विकराल रूप धारण कर लेती है और चारों ओर तबाही का कारण बन जाती है।
आजकल तुम न्यूजपेपर, टीवी चैनलों पर उत्तराखंड में बादल फटने से होने वाली मूसलाधार बारिश के समाचार देखते होगे, जिसकी वजह से वहां जान-माल की बहुत हानि हुई है। बेशक वहां बड़े पैमाने पर राहत कार्य चल रहे हैं, लकिन बादल फटने से हुई तबाही की तस्वीर ने एक बार तुम्हें भी झकझोर दिया होगा। तुम्हारे मन में यह सवाल जरूर उठता होगा कि बादल फटना आखिर होता क्या है? ये बादल जो बारिश लाकर हमारे लिए इतने उपयोगी हैं, वे फट कर तबाही कैसे मचाते हैं?
यह तो तुम जानते होगे कि बारिश कैसे होती है। सूर्य की गर्मी के कारण झीलों, तालाबों, नदियों और समुद्रों का पानी प्रदूषित होता रहता है। पानी के छोटे-छोटे प्रदूषणकण हवा के कणों के साथ आसमान में इकट्ठे होकर बादल का रूप ले लेते हैं। ये धरती से करीब 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर इकट्ठे होते हैं। ये मूलत: पॉजिटिव और नेगेटिव आवेष वाले होते हैं। जब ये बादल आपस में टकराते हैं तो एक तो इनमें बिजली चमकती है और दूसरा इनमें रुका हुआ पानी बारिश की बूंदों के रूप में धरती पर गिरता है। इस तरह ये बादल धरती के जल-चक्र को बनाए रखते हैं।
जब बूंद-बूंद करके गिरने वाला बारिश का यह पानी इकट्ठा धरती पर बहुत तेजी से आ गिरता है तो उसे बादल फटना कहते हैं। इसे मेघविस्फोट, मूसलाधार बारिश या क्लाउड बस्र्ट भी कहते हैं। इसे तुम आसान भाषा में इस तरह समझ सकते हो- एक बाल्टी या बैलून के तले में छोटे-छोटे कई छेद करें। उसमें पानी भरने पर क्या होता है। तुम देखोगे कि पानी बरसात की बूंदों की तरह धीरे-धीरे नीचे गिरेगा। अब अगर इनके बेस को ही तोड़ दिया जाए तो एकदम से सारा पानी पूरे वेग के साथ नीचे आ जाएगा। यही स्थिति बादलों के साथ है।
आसमान में मौजूद हवाओं के दबाव से और उनके रास्ते में आने वाली बाधाओं के टकराने से ये बादल एकदम से फट जाते हैं और धरती पर ढेर पानी एक साथ उड़ेल देते हैं। बादल फटने की प्रक्रिया को अगर बारिश का चरम कहा जाए तो गलत नहीं होगा, क्योंकि बादल फटने से बारिश इतनी तेज होती है कि उसे मापना मुश्किल हो जाता है। वैज्ञानिक बादल फटने की दो वजह मानते हैं। पहली यह कि जब एक ही आवेश (पॉजिटिव और नेगेटिव) के बादल आसमान में किसी ऐसी जगह इकट्ठे होते हैं, जहां गर्म और ठंडी हवाएं दोनों तरफ से उन पर दवाब डालती हैं। जब कोई गर्म हवा का झोंका नमी से भरे इन बादलों से टकराता है तो ये बादल फट जाते हैं। इस दौरान बिजली चमकने और तेज आंधी के साथ भारी बारिश होती है। ऐसे में एक सीमित इलाके में कई लाख लीटर पानी एक साथ धरती पर गिरता है।
धरती पर पानी गिरने की रफ्तार तकरीबन 36 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। कुछ मिनटों में ही दो सेंटीमीटर से अधिक वर्षा हो जाती है, कुछ ही देर में आसमान से एक पूरी की पूरी नदी उतर आती है। इससे वहां तेज बहाव वाली बाढ़ आ जाती है और रास्ते में आने वाली चीजों को नुकसान पहुंचाता है। ऐसा अक्सर पहाड़ी और नदी वाले इलाकों में ज्यादा होता है, क्योंकि वहां गर्म और ठंडी हवाएं-दोनों चलती हैं और वहां से गुजरने वाले बादल इनकी चपेट में आ जाते हैं। वहां कुछ देर की भारी बरसात के चलते पहाड़ या ग्लेशियर टूट कर गिरने लगते हैं, जमीन खिसकने लगती है और उस क्षेत्र में बने घर देखते ही देखते टूटने लगते हैं, जमीन के नीचे धंसने लगते हैं।
दूसरी वजह यह कि ये बादल काफी मात्रा में नमी यानी पानी लेकर आसमान में चलते हैं। जब उनके रास्ते में कोई बड़ी बाधा आती है, तब उससे टकराकर ये अचानक फट पड़ते हैं। हमारे देश में मानसून के दौरान बादल बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उत्तर दिशा की ओर बढ़ते हैं, हिमालय पर्वत उनके रास्ते में बाधा डालता है। हिमालय से टकराकर बादल फट जाते हैं और 75 मिलीमीटर प्रतिघंटे से अधिक की रफ्तार से मूसलाधार बारिश करते हैं। यही कारण है कि हिमालय क्षेत्र में बादल फटने की घटनाएं ज्यादा होती हैं।