Badal ke baare mein essay
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मैने कल रात एक सपना देखा, कि मैं एक बादल था। मैं वाष्प से बना था और मुझ में पानी था। मैं पानी से बोझिल था, और बौछार करने के लिए इंतजार कर रहा था ।
मै अपने आपको किसी भी आकार भें ढाल सकता था । थोड़ी ही देर में मै कुत्ता बन गया जो मुंह मैं एक हड्डी लिया हुआ था । बच्चे मेरी तरफ उंगली उठाकर कह रहे थे कि देखो बादल कुत्ता जैसा दिखता है।
दूसरे दिन मैं अपने आपको उपयोगी बना दिया। मैं ऐसी जगह गया जहां पर लोग सूखे से फैली भुखमरी से मर रहे थे । मैने वहां के लोगों में क्रोध और दुःख दोनों देखा। लोग मेरे इंतजार में प्रार्थना कर रहे थे। थोड़ी ही देर में मैं वहां छा गया और अपने आपको पूरी तरह खोल दिया | वहां की जमीन को मैने बारिश से सराबोर कर दिया । लोग बहुत खुश हो गए। वो ऊपरवाले की प्रार्थना करने लगे और खुशी से नृत्य करने लगे ।
दूसरे दिन मैं ऐसी जगह था , जहां चारो तरफ पानी ही पानी था । लोगों को मैं डूबते हुए देख रहा था । मै सोचा शायद मेरे मां बाप ने ऐसा किया था । क्योंकि के इन मनुष्यों के प्रकृति के विरुद्ध कार्यो से बहुत नाराज थे। मै चुपचाप उन्हें डूबते हुए और उन्हें उनके पापों के कारण भुगतते हुए देख रहा था । मैं देखता रहा कि मनुष्य किस तरह भिन्न है कहीं पर दुखी है और कहीं पर खुश है। जो भी हो मैं उन्हें खुश देखना चाहता था थोड़ी ही देर में मैंने एक सुन्दर इंद्रधनुष बना दिया जिसे देखकर वे सब बहुत खुश हो गए और में भी उन्हें खुश करके आनन्द लेता रहा ।
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