badal ko ghirte dekha h kabita ka sarans
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could you plz explain your question again..
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बादल को घिरते देखा है , कविता में कवि नागार्जुन जी ने प्रकृति के अनुपम सौन्दर्य का मनमोहक चित्र प्रस्तुत किया है . कवि का कहना है कि हिमालय की चोटियों पर बादल बहुत ही स्वच्छ है . ये चोटियों वर्फ से ढकी होने के कारण सफ़ेद दिखाई पड़ रही है . मानसरोवर में सोने जैसे सुनहरे कमल खिले हुए है . उन कमल की पंखुडियों पर कवि ओस की बूंदें झर - झर कर देखते हैं . ऊँचे हिमालय पर्वतों पर मैदानी भागों से जहाँ वर्षा के कारण भीषण गर्मी पड़ती है . हंस अपने भोजन की तलास में यहाँ सरोवरों में तैरते दिखाई पड़ते हैं . कवि देखता है कि बादलों के घिरते समय मैंने इनको तैरते हुए देखा है . कवि ने वसंत ऋतु के सुन्दर प्रभात का वर्णन किया है .उस समय मंद मंद हवा चल रही है . उस समय उगता सूरज अपनी कोमल किरणों से पर्वत की चोटियों को सुनहरा बना रहा है . कवि ने यहाँ पर पुराने श्राप से श्रापित चकवा - चकवी को देखा है जो रात के समय आपस में मिलन नहीं कर पाते हैं . सुबह होने पर उनका मधुर मिलन सरोवर के किनारे पाई में उगने वाली घास पर होता है .इस प्रकार चकवा - चकवी के प्रेमा लाप और कलह एक अनोखे दृश्य को उत्पन्न कर रहा है .
कवि ने दुर्गम बर्फानी घाटी पर विचरण करने वाले कस्तूरी हिरणों का वर्णन किया है .हिरण की नाभी पर कस्तूरी की सुगंध आने पर वह दौड़ - दौड़ कर इधर उधर ढूंढ रहा है .कवि कहता है कि हिमालय पर्वत की इतनी ऊँचाई पर होने के कारण धन के स्वामी कुबेर की नगरी अलकापुरी नहीं मिली . कालिदास के मेघदूत का मेघ भी बहुत खोजने पर नहीं मिला . भीषण जाड़ों में भी आकाश को छूने वाली चोटियों पर बड़े - बड़े बादलों को आपस में टकराते हुए देखा है .
कवि को सैकड़ो झरने और नदियों का कलनाद अभिभूत कर रहा है .देवदार बन में लाल और सफ़ेद भोजपत्रों से सजी झोपड़ी का सुन्दर वर्णन किया है .यहाँ पर किन्नर और किन्नरियाँ निवास करते हैं .वे फूलों का गहना ,गले में नीलम की माला धारण किये हुए है .वे सभी मदिरा का पान कर रहे हैं .मदमस्त होकर बाँसुरी बजा रहे हैं . उस समय चारों ओर बादल छाये हुए हैं .