Hindi, asked by lomeshgourlomesh, 8 months ago

Badal ko ghirte dekha hai Kavita ke prakratik chitran ka 4bindo me varnan kijiye ​

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Answered by mandharesantoshsm
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यह कविता नागार्जुन के कविता संग्रह ’युगधारा’ से संकलित है। इसमें कवि ने बादल व प्रकृति के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन किया है।

’बादल को घिरते देखा है ’कविता में बादल की प्रकृति के बारे में कवि का अपना चिंतन है। यह बादल कालिदास के मेघदूत है जो विरही के पास संदेश लेकर जाते हैं। इन्हीं बादलों के साथ कस्तूरी मृग की बैचनी, बर्फीली घाटियों में क्रन्दन करते चकवा-चकवी और किन्नर-किन्नरियों के काल्पनिक चित्रण को बादल के साथ सम्बद्ध कर प्रस्तुत किया है। प्रस्तुत कविता कल्पना दृष्टि से कालिदास एवं निराला की काव्य परंपरा की सारथी है।

अमल धवल गिरि के शिखरों पर,

बादल को घिरते देखा है।

छोटे-छोट मोती जैसे

उसके शीतल तुहिन कणों को,

मानसरोवर के उन स्वर्णिम

कमलों पर गिरते देखा है।

बादल को घिरते देखा है।

तुंग हिमालय के कंधों पर

छोटी-बङी कई झीलें हैं,

उनके श्यामल नील सलिल में

समतल देशों से आ-आकर

पावस की ऊमस से आकुल

तिक्त-मधुर विसतंतु खोजते

हंसों को तिरते देखा है।

बादल को घिरते देखा है।

भावार्थ: – प्रस्तुत पद्यांश में कवि कहते हैं कि उन्होंने हिमालय के उज्ज्वल शिखरों पर बादलों को घिरते देखा है। कवि ने बादलों के मोती जैसे शीतल कणों को ओस की बूँद के रूप में मानसरोवर झील में स्थित कमल पत्रों पर गिरते देखा है। हिमालय की ऊँची-ऊँची चोटियों पर अनेक झीलें स्थित हैं।इन झीलों के शांत व गहरे नीले जल में मैदानी क्षेत्रों की गर्मी से व्याकुल हंस शरण लेते है। कवि ने इन हंसों को पानी पर तैरते हुए कमलनाल के भीतर स्थित कङवे और मीठे कोमल तंतुओं को खोजते देखा है। इस प्रकार कवि इन झीलों में विचरण करते हुए हंसों का वर्णन करता है।

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