badalne ki chamta hi buddhimatta ka map Hai 500 words essay in Hindi Albert Einstein
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अल्बर्ट आइन्सटाइन वह नाम है, जो विलक्षण प्रतिभा का पर्याय बन चुका है । भौतिक विज्ञान में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें ‘द ग्रेटेस्ट फिजिसिस्ट ऑफ ऑल टाइम’ की संज्ञा दी गई । उन्होंने ‘टाइम’ पत्रिका के एक सर्वेक्षण में ‘शताब्दी का व्यक्तित्व’ के रूप में सर्वाधिक मत प्राप्त किए तथा ‘टाइम’ पत्रिका ने वर्ष 1999 में उन्हें शताब्दी पुरुष घोषित किया । सारी दुनिया उनके तेज दिमाग का लोहा मानती थी, इसलिए जब उनकी मृत्यु हुई, तो उनके शव परीक्षण करने वाले डॉक्टर ने उनकी तेज बुद्धि का रहस्य जानने के लिए उनका मस्तिष्क निकाल लिया था ।उनकी प्रारम्भिक शिक्षा लुईटपॉल्ड जिम्नेसियम में हुई । उसके बाद वे इटली और कुछ समय बाद ही स्विटजरलैण्ड चले गए । 1896 ई. में उन्होंने ज्यूरिख के स्विस फेडरल पॉलिटेक्निक स्कूल में प्रवेश लिया । वर्ष 1901 में उन्होंने वहां से डिप्लोमा प्राप्त करने के बाद स्विटजरलैण्ड की नागरिकता प्राप्त की ।उन्हें शिक्षण कार्य में विशेष रुचि नहीं थी, इसलिए उन्होंने स्विस पेटेण्ट ऑफिस में टेक्निकल असिस्टेण्ट की नौकारी स्वीकार कर ली । वर्ष 1905 में पेटेण्ट ऑफिस में काम करते हुए उनके चार शोध पत्र प्रतिष्ठित पत्रिका ‘एनेलेन डेरे फिजिक’ में प्रकाशित हुए ।इन सभी शोध पत्रों को आज विज्ञान की दुनिया में महत्वपूर्ण उपलब्धि के तौर पर देखा जाता है, इसलिए वर्ष 1905 को आइन्सटाइन के आश्चर्यजनक वर्ष के रूप में जाना जाता है । वर्ष 1905 में ही उन्हें साइंस में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त हुई । ‘सापेक्षिकता के सिद्धान्त’ के सन्दर्भ में उन्होंने प्रस्ताव दिया कि अन्तरिक्ष और समय को एक रूप स्पेस टाइम में संयुक्त कर देना चाहिए ।इस सिद्धान्त में उन्होंने बताया कि सभी प्रेक्षकों के लिए निर्वात में प्रकाश की गति एक ही होती है, जिसका परिणाम यह होता है कि दो घटना, जो एक विशेष पर्यवेक्षक को समकालिक प्रतीत होती हैं, वे ही घटना, दूसरे पर्यवेक्षक को समकालिक प्रतीत नहीं होती ।खगोल वैज्ञानिकों ने लाखों आकाशगंगाओं का अध्ययन करने के बाद पता लगाया है कि ब्रह्माण्ड का तेजी से विस्तार हो रहा है । इससे इस बात की पुष्टि होती है कि आइन्सटाइन का सापेक्षिकता का सिद्धान्त बिलकुल सही है । वर्ष 1905 में उनके शोध पत्रों के प्रकाशित होने के बाद उनकी ख्याति फैल गई और वर्ष 1908 में उन्हें बर्न में प्रिवडोजेण्ट में प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति का आमन्त्रण मिला, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया ।उन्होंने पचास से अधिक शोध पत्र और विज्ञान की कई पुस्तकें लिखीं । द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद उन्होंने वैश्विक सरकार आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाई । इजराइल ने उन्हें राष्ट्रपति के पद का प्रस्ताव दिया, किन्तु उन्होंने इसे विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया और येरूशलम के हिन्दू, विश्वविद्यालय की स्थापना में डॉ. चैम विएजमैन का साथ दिया ।अपने वैज्ञानिक शोध कार्यों के शुरुआती दिनों में उन्होंने न्यूटन के सिद्धान्तों की अपर्याप्तता को उजागर कर सापेक्षिकता के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया था । आइन्सटाइन के योगदानों को देखते हुए उन्हें सैद्धान्तिक भौतिकी खासकर प्रकार-विद्युत प्रभाव की खोज के लिए वर्ष 1921 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।फ्रैंकलिन इंस्टीट्यूट ने उन्हें वर्ष 1936 में फ्रैंकलिन मेडल देकर सम्मानित किया । उनके प्रसिद्ध सापेक्षिकता के सिद्धान्त की खोज के 200 वर्ष पूरे होने पर ‘इण्टरनेशनल यूनियन ऑफ प्योर एण्ड एप्लायड फिजिक्स’ ने वर्ष 2005 में उन्हें ‘वर्ल्ड ईयर ऑफ द फिजिक्स’ घोषित किया ।अमेरिकी डाक सेवा ने उनके नाम से डाक टिकटों की एक श्रृंखला जारी की । उनके नाम पर देश-विदेशों में अनेक पुरस्कारों की स्थापना की गई है । 17 अप्रैल, 1955 को 76 वर्ष की अवस्था में मोजार्ट के वायलिन संगीत से प्रभावित होने बाले अल्बर्ट आइन्सटाइन के निधन के साथ ही विज्ञान जगत् ने एक महान् वैज्ञानिक को खो दिया ।
उनकी खोजों को आधार बनाकर ही परमाणु बम का विकास किया गया था । वर्ष 1945 में जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी पर परमाणु बम के दुरुपयोग से उन्हें बहुत दु:ख पहुँचा था । वे न केवल एक महान् वैज्ञानिक, बल्कि एक महामानव भी थे । उनकी कमी विश्व को सदा खलेगी । उनका जीवन वैज्ञानिकों ही नहीं, आम लोगों के लिए भी प्रेरणा का अति दुर्लभ स्रोत है । आने वाली पीढ़ियाँ उनके जीवन से प्रेरणा लेती रहेंगी ।
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दुनिया हर दिन के हर सेकंड बढ़ती है और, लगातार 21 वीं सदी की इस बदलती दुनिया में पनपने के लिए, किसी को सिर्फ और सिर्फ बुद्धिमान नहीं कहा जा सकता है। जैसा कि अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था, "बुद्धिमत्ता का माप बदलने की क्षमता है"। इसके संदर्भ में, सी-एफबी गिफ्टेड और टैलेंटेड प्रोग्राम ने मुझे बदलाव को बढ़ावा देने की क्षमता और साथ ही परिवर्तित होने की क्षमता के साथ एक उच्च बुद्धिमान व्यक्ति बनने में मदद की है.
इस अनुकूलन क्षमता को कई तरीकों से विकसित किया गया है; हालाँकि, एक उपहार के रूप में पहचाने जाने वाले छात्र ने मुझे उच्च स्तर की कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दी है, जिसने मुझे अपनी पढ़ाई में स्वतंत्र होने के लिए प्रोत्साहित किया है, उन अध्ययनों से प्राप्त ज्ञान को लागू करने के लिए दूसरों के साथ सहयोग करने और विषय क्षेत्रों के बीच संबंध बनाने के लिए। दुनिया की अपनी निजी समझ के लिए अर्थ और महत्व पैदा करना