Badalne ki chamta hi hi buddhimatta kaam aap hai nibandh
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मनुष्य को बुद्धिजीवी कहा जाता है और उसकी बुद्धिमता का पता चलता है उसके व्यव्हार और उसके आचार से। जैसा मनुष्य व्यवहार करेगा, जैसे वह सोचेगा और जैसे वह अप्बे कार्य करेगा, उसी के अनुसार यह बताया जाता है की मनुष्य कितना बुद्धिमान है और कितना नालायक।
मनुष्य की बुद्धिमता को मापने की जब बात आती है तो जो सबसे अहम बात देखी जाती है वह होती है उसके बदलावों को अपनाने की क्षमता। जीवित रहने के लिए मनुष्य के लिए आवश्यक है की वो अपने आस-पास हो रहे बदलावों को अपनाए। जब से मनुष्य इस धरती पर आए हैं तब से लेकर अब तक मनुष्य ने अपने जीवन जीने के तरीके में अनेक बदलाव किए हैं और उन्हीं बदलावों के सहारे आज मनुष्य जिंदा है।
अगर हिम युग के दौरान मनुश्य ने खुद को गरम रखने के लिए बदलाव ना किए होते तो आज मनुष्य शायद आज जीवित नहीं होता। और ऐसे ही अब समय के साथ अगर मनुष्य खुद की आदतों को नहीं बदलता है तो वह पिच्छ्ड़ जाएगा और उसके जीवित रहने के आसार कं होंगे।