badalti hue Sanskriti parampaeayen nishkarsh kaise likhe
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हमारी भारतीय संस्कृति इन तथ्यों से भली भाँति अवगत है। इसीलिये हमारी संस्कृति में प्राकृतिक शक्तियों को देवी-देवताओं का स्थान प्राप्त था और इनकी पूजा की जाती थी। मिट्टी को मातृ देवी, वायु को देवता और जल को पवित्र देवी, अग्नि को देवता कहा जाता था। भारतीय लोग संस्कृति तो पूर्णत: प्रकृति परक है। यहाँ का ग्राम्य जीवन प्रकृति से अत्यधिक प्रेम करता है। भारत गाँवों का देश है और भारतीय संस्कृति कृषक संस्कृति कहलाती है। यहाँ के किसान अपनी धरती से अत्यधिक लगाव रखते हैं। यहाँ की उपजाऊ भूमि में मौसम के अनुसार फसलें, फलों के वृक्ष, पुष्प आदि उगाए जाते हैं। अर्थात खेती पूर्णत: प्रकृति पर निर्भर है। यहाँ ऋतु गीत गाये जाते हैं। रोग ग्रस्त होने पर पेड़, पौधों, वनस्पतियों से भाँति-भाँति की औषधियाँ प्रयोग में लायी जाती हैं। जैसे- खाँसी आने पर तुलसी दल का काढ़ा, चोट लगने पर हल्दी का लेप, चेचक होने पर नीम की पत्ती का रखना, दुग्ध पान कराने वाली माताओं को पीपर, सतावर खिलाना आदि।