Bade bhai ko padhaai yani Shiksha ke taur tarike kyon pasand nahin the
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बड़े भाई साहब पाठ में लेखक ने शिक्षा के विभिन्न तौर तरीकों पर व्यंग किया है। लेखक के अनुसार आजकल विद्यार्थियों को जो कुछ भी पढ़ाया जा रहा है उससे उनके वास्तविक जीवन का कोई लेना देना नहीं है। इसे पढ़कर उन्हें जीवन में कोई विशेष लाभ भी नहीं होता किंतु परीक्षा पास करने के लिए विद्यार्थियों को यह सब याद करना पड़ता है। लेखक कहता है कि इतिहास में अंग्रेजों का इतिहास पढ़ाया जाता है। इतिहास का वर्तमान से कोई संबंध नहीं है और इसे पढ़कर विद्यार्थी कोई बहुत बड़ा नाम भी नहीं कमा सकते। इसी प्रकार ज्योमेट्री में भी अनेक प्रकार के उल्टे सीधे सवाल पूछे जाते हैं जो विद्यार्थियों के जीवन में कभी काम नहीं आतेलेखक कि यह बात बिल्कुल सही है कि विद्यार्थियों को आजकल जो कुछ पढ़ाया जा रहा है वह उचित नहीं है। यह पढ़ाई लिखाई उनके जीवन में कोई बदलाव लाने वाली नहीं है। यह पढ़ाई उन्हें किसी भी प्रकार से आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम नहीं है। अतः हम लेखक के विचारों से पूरी तरह सहमत हैं।
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