bade bhai ko vachan gatividhi ke anubhav ke baare mein batate hue patra likho
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प्रिय राजन,
शुभाशीर्वाद,
कल माताजी का पत्र मिला था। इसे पढ़कर मालूम हुआ कि आजकल तुम्हारा मन पढ़ाई में नहीं लग रहा, बल्कि बुरे लड़कों की संगति में लग रहा है। यही कारण है कि प्रथम सत्र की परीक्षा में तुम उत्तीर्ण नहीं हुए।
मेरे प्रिय भाई! बुरी संगति आदमी का जीवन बर्बाद कर देती है। इससे तुम्हारा भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। विद्वानों ने सत्संगति का बड़ा महत्व बताया है। हमें उनका अनुकरण करना चाहिए।
आशा है, तुम पढ़ाई में अपना मन लगाओगे और छमाही परीक्षा अव्वल आओगे तथा शिकायत का अवसर नहीं दोगे।
तुम्हारा भाई,
मनोज शर्मा
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