Bade Ghar ki beti moral 150 words .
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मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित ' बड़े घर की बेटी 'प्रसिद्ध कहानी है,जिसमे प्रेमचंद जी द्वारा संयुक्त परिवार में होने वाली समस्याएँ , कलहों , बात का बतंगड़ और आपसी समझदारी से समस्याँओ का निपटारा करने का हुनर दर्शाया गया है | इसमें प्रेमचंद जी ने पारिवारिक मनोवैज्ञानिक को बड़े ही सरलता से दर्शाया है | कहानी में बेनीमाधव सिंह गौरीपुर के जमींदार है ,उनके बड़े पुत्र श्रीकंठ की पत्नी 'आनंदी ' है |आनंदी कहानी का मुख्य पात्र है ,जो रूपवती ,गुणवती , उच्च और समृद्ध घर की बेटी है | उनका विवाह सामान्य परिवार में श्रीकंठ से हो जाता है,अपनी सूझ-बुझ से सारे सुखों भूलकर परिवार में सामंजस्य बिठा लेती है |
आनंदी में , आत्मसम्मान और स्वाभिमान की भावना है वह अपने मायके की निंदा सहन नहीं कर सकती है ,यही कारण है कि उनका झगड़ा देवर से हो जाता है| एक जिम्मेदार बहु की तरह 'आनंदी ' भी घर को संभालती है ,तभी तो देवर से झगड़ा होने के बाद भी ससुरार को नहीं छोड़ती है | 'आनंदी ' उदार और बड़े दिल वाली महिला है | उन्होंने अपनी देवर की शिकायत पति से कर तो देती है लेकिन बाद में पछतावा होता है | बाद में देवर से भी क्षमा मांग कर उसे घर छोड़ने से रोक लेती है | घर का वातावरण सौहार्दपूर्ण बनाती है