Hindi, asked by Arsh69831, 10 months ago

Badhti hui jansankhya ka manushya par prabhav

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Answered by jayathakur3939
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बढ़ती हुई जनसंख्या का मनुष्य के जीवनपर बहुत बुरा प्रभाव पढता है  जैसे :-

1. जनसंख्या में वृद्धि के कारण प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव

अधिक आबादी का मतलब है प्राकृतिक संसाधनों की अधिकतम दोहन। अगर ज्यादा लोग होंगे तो उनके खाने-पीने से लेकर रहने और पहनने तक के लिए ज्यादा चीजों की जरूरत पड़ेगी और सभी चीजों को उपलब्ध कराने के लिए लोग तरह-तरह के जुगाड़ लगाएंगे और वही जुगाड़ पृथ्वी पर अपना दबाव बनाता रहेगा। फलस्वरुप ग्लोबल वार्मिंग और खाने-पीने की चीजों की कमी जैसे तमाम मुद्दों पर चिंता बढ़ने लगेगी |

2 जनसंख्या में वृद्धि , गरीबी का कारण

जाहिर सी बात है कि लोग ज्यादा होंगे तो प्राकृतिक संसाधनों का दोहन ज्यादा होगा । लेकिन प्रकृति भी एक सीमित मात्रा में संसाधन दे सकती है । उसके अलावा भी बहुत सारी चीजों की जरूरत पड़ती है । गरीबी के चलते लोगों के बच्चे ना तो पढ़ पाते हैं और ना ही आगे बढ़ पाते हैं । इस दशा में वो गरीब के गरीब ही रह जाते हैं। जनसंख्या बढ़ने के कारण गरीबी भी बढती जाती है , बहुत सारे परिवार के लोग इसलिए भी कई बच्चे पैदा कर लेते हैं क्योंकि उन्हें अपना जीवन चलाने के लिए बच्चों की सहायता की जरूरत पड़ती है । उनकी गरीबी उनको मजबूर करती रहती है कि वो कई बच्चे पैदा करें । बच्चे तो हो जाते हैं हैं लेकिन उनका भरण-पोषण वो अच्छे से नहीं कर पाते , जिससे वो गरीब से और गरीब होते चले जाते हैं । भारत में अधिकतर लोगों के पास अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए कोई योजना नहीं होती । उन्हें लगता है कि 15 से 45 वर्ष की आयु में कभी भी बच्चे पैदा कर सकते हैं, और इस प्रकार उनके कई बच्चे हो जाते हैं। जिससे उनके घर की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर तब पड़ता है , जब वह बच्चे बड़े होने लगते हैं । उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होते ही सारी व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है।

3. पलायन की मजबूरी

इस देश में बहुत सारी जगह ऐसी है जहां पर पानी खाना जैसी तमाम प्राकृतिक संसाधनों की कमी है लोग पहले से ही गरीब रहते हैं और बढ़ती पीढ़ी के साथ गरीब चले जाते हैं क्योंकि उनकी जनसंख्या बढ़ती जाती है । लेकिन जब किसी एक विशेष स्थान पर बहुत ज्यादा लोग निवास करने लगते हैं, वह भी कम संसाधन वाले क्षेत्र में तो जीवन चलना भी दूभर हो जाता है । ऐसी स्थिति से निपटने के लिए वहाँ के लोगों को मजबूरी वश पलायन करना पड़ता है।

4. अमीर गरीब का अंतर

एक आदमी अपने घर में आधे दर्जन बच्चे पैदा कर लेता है , क्योंकि वह अशिक्षित है वह शिक्षित इसलिए है क्योंकि वह गरीब था । और कभी भी लिख पढ़ नहीं पाया था। अब ये जो आधे दर्जन बच्चे हैं यह भी गरीब ही रहेंगे , क्योंकि यह भी पढ़ लिख नहीं पाएंगे और शिक्षित नहीं हो पाएंगे । ये फिर वही पूरी प्रक्रिया दोहराएंगे जो इनके पूर्वजों ने दोहराया था । इस प्रकार वह हमेशा गरीब ही रहेंगे । वही अमीर शिक्षित हैं और उसे पता है कि परिवार नियोजन के क्या-क्या उपाय हैं। इसलिए सीमित परिवार ही रखेगा और हर बढ़ती पीढ़ी के साथ अमीर होता चला जाएगा । इस प्रकार अतिक्रमी जनसंख्या से अमीर और गरीब के बीच का फर्क भी बढ़ता ही जाता है

5. मृत्यु दर के मुकाबले जन्मदर में अधिकता

किसी भी देश की जनसंख्या में उतार-चढ़ाव के मुख्य और प्राकृतिक कारण होता है , जन्म दर और मृत्यु दर । भारत में अभी स्थिति यह है कि जन्म दर मृत्यु दर के मुकाबले बहुत अधिक है । 2016 के हिसाब से देखें तो 2016 में जन्म दर 19.3 प्रति 1000 था । अर्थात किसी एक निश्चित समय अवधि में 1000 लोगों को बीच 19.3 नए बच्चे जन्म ले रहे हैं । जबकि उतनी ही समय अवधि में 1000 लोगों के मध्य 7.3 लोगों की ही मृत्यु हो रही है । यानी हर पल लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है । ये नही कहा जा रहा है कि मृत्यु दर को बढ़ाया जाए बल्कि ध्यान इस पर देना चाहिये कि जन्मदर को कैसे कम किया जाए।

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