Hindi, asked by ajjusingh1, 1 year ago


badhti Hui Mehangai ke Vishay Mein jan Satta ke sampadak ko Chinta vayakt karo

Answers

Answered by jkhan1
41
hey \: dear \: here \: is \: your \: answer

⭐⭐<==================>⭐⭐


सेवा में
मुख्य संपादक
जनसत्ता
बहादुर शाह जफर मार्ग
दिल्ली

विषय: कमरतोड़ महंगाई।
महोदय
मैं आपके लोकप्रिय खबर जनसत्ता का नियमित पाठक हूं। मैंने इसके कई संपादकीय उन से प्रेरणा ली है । मैं कुछ विचार 'जनसत्ता' के माध्यम से जनता और सरकार तक पहुंचाना चाहता हूं इन्हें प्रकाशित करें ।
बढ़ती महंगाई से जनता का हाल बुरा है। आलू,प्याज,गेहूं आदि सब कुछ गरीब की मुट्ठी से रेत की तरह फिसलता जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण जमा खोरी है। बड़े-बड़े व्यापारी दैनिक उपभोग की वस्तुओं को खरीद कर अपने गोदाम में भर लेते हैं तथा बाजार में इसका अभाव दिखा देते हैं। कीमतें बढ़ने पर ही वे इसे बाहर निकालते हैं। इससे लोगों का जीवन स्तर गिर गया है वह अपराध वृत्ति को बढ़ावा मिला है। देश में निर्धन व्यक्ति का जीना दूभर हो गया है। इस कारण आज सर्वत्र भ्रष्टाचार व्याप्त हो गया है।
हमारे नेता शायद कहीं सो गए लगते हैं इनकी नींद को भंग करना अति अनिवार्य है।
धन्यवाद!
भवदीय जाविद
13,लक्ष्मी नगर
मथुरा-11190
22 जून,2018



hope \: this \: helps \: u \: dear
✌✌✌.


Answered by Anonymous
4

heya..

here is your answer..

सेवा में ,

प्रभात खबर , कोलकाता



विषय-- महंगाई पर चिंता प्रकट करते हुए।


महोदय,


मैं आपके दैनिक पत्र प्रभात खबर की ओर से महंगाई को लेकर अपनी चिंता प्रकट करने जा रही हूं। ताकि मेरी बात से लोग जागरूक होकर महंगाई के खिलाफ आवाज उठाएं। मैं एक समाज सेविका हूं। मैं अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में जाती हूं जहां पर लोग आलू से ही गुजारा कर लेते हैं। मगर कुछ महीनों से आलू के दाम इतने बढ़ चुके हैं कि अब वह गरीब जो आलू को ही मांस, मछली और हरी सब्जी समझकर खाते थे। अब वह महंगाई के इस दौर में मर ही जाएंगे।


आलू बाकी के घरों की भी जरूरत है क्योंकि आलू सब सब्जियों में आकर सब्जियों के खालीपन को दूर करती है। इसके अलावा बैंगन , भिंडी के दाम में महंगाई बढ़ती भी है और घट भी जाते हैं।


इसलिए मैं गृह मंत्रालय से यह अनुरोध करती हूं कि इस बढ़ती समस्या की ओर अपना ध्यान आकर्षित करें। ताकि लोग भरपेट एक समय खा सके और अपना गुजारा कर सके।


अर्पिता बंसल

समाज सेविका।

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