Badhti jan sankhya ka asar Rail yatra par bhi dikhai de raha hai essay
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हाल ही में महीने भर से कम समय में ट्रेनों के पटरी से उतरने की तीन घटनाओं (यह संख्या रोज बढ़ती जा रही है) ने एक बार फिर भारतीय रेल नेटवर्क पर रेलवे ट्रैकों (पटरियों) के रूटीन रखरखाव को बहस में ला दिया है.ट्रेन के बेपटरी होने की तीन घटनाओं में से एक महाराष्ट्र के थाने जिले में भारी वर्षा और भू-स्खलन के कारण रेल पटरियों के बह जाने की वजह से हुई. इस दुर्घटना में रेलवे खुद प्राकृतिक आपदा का शिकार बन गया.उत्तर प्रदेश के औरैया में आधी रात के वक्त एक डंपर के रेलवे ट्रैक पर आ जाने और यात्री ट्रेन के इंजन से टकरा जाने के कारण कैफियत एक्सप्रेस पटरी से उतर गई. जख्मी होनेवाले 70 यात्रियों के प्रति हर किसी की सहानुभूति है, लेकिन थोड़ी सी सहानुभूति रेलवे के प्रति भी दिखाई जानी चाहिए, क्योंकि उसे कई बार लोगों की लापरवाही का खामियाजा उठाना पड़ता है.लेकिन, कथौली में कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की घटना ने वाकई खतरे की घंटियां बजा दी है. इस चिंता के कई आयाम हैं. एक चिंता तो रेलवे द्वारा पुरानी पटरियों के नवीकरण में अपनाए जा रहे मानकों को लेकर है और दूसरी इनके रखरखाव के तरीके को लेकर है. More in भारत : कर्नाटक राजनीतिक संकट: सुप्रीम कोर्ट का आदेश, शाम छह बजे तक स्पीकर के सामने पेश हों बागी विधायकआरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा हत्या मामले में भाजपा के पूर्व सांसद समेत सात को उम्रक़ैदअयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता समिति से एक हफ्ते के भीतर स्टेटस रिपोर्ट देने को कहाआंध्र प्रदेश: 2014-19 के बीच 1,513 किसानों ने की आत्महत्या, सिर्फ 319 परिवारों को मुआवजा मिलासुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर के घर और ऑफिस पर सीबीआई का छापाएडिटर्स गिल्ड ने की वित्त मंत्रालय में मीडिया पर पाबंदी की आलोचना, कहा- वापस लें आदेश समस्या का कारण यह भी है कि रेलवे द्वारा पटरियों के स्तर में सुधार लाने की जरूरत को अड़ियल तरीके से खारिज किया जाता रहा है. उसके लिए ये तथ्य बेमानी हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा 2002-03 में शुरू किए गए ट्रैकों के पुनरुद्धार की राष्ट्रीय स्तर की कवायद को लंबा वक्त गुजर चुका है. इस दौरान रेलमार्ग पर यात्रियों और माल ढुलाई में काफी बढ़ोतरी हुई है, जिसका परिणाम उनके जर्जर होने के तौर पर सामने आया है.मीडिया को दिए गए बयान में रेलवे के प्रवक्ता ने कहा कि प्रथम दृष्टया उत्कल एक्सप्रेस हादसा अधूरे बने आपातकालीन ट्रैक की वजह से हुआ. ट्रेन चालक दल मरम्मत कार्य से बेखबर था. इसकी वजह शायद यह थी कि उस दिन मरम्मती के लिए कोई ट्रैफिक ब्लॉक (किसी ट्रैक पर मरम्मती कार्य करने के लिए ट्रेनों का परिचालन स्थगित करने के लिए दिया जाने वाला विशेष निर्देश) नहीं दिया गया था.चूंकि पटरियों की मरम्मती कार्य के लिए ट्रैक के उस खंड के लिए कोई गति सीमा नहीं लगाई गई थी, इसलिए ट्रेन अपनी सामान्य निर्धारित गति से दौड़ रही थी और पटरी से उतर गई.क्या है रेलवे की बीमारीट्रेन के पटरी छोड़ने का यह असामान्य कारण कई सवालों
बढ़ती जनसंख्या का रेल-यात्रा पर असर
Explanation:
बढ़ती जनसंख्या का असर रेल-यात्रा पर इसलिए देखने को मिलता है क्योंकि जब किसी जगह में पर जनसंख्या बढ़ जाती है और संसाधन कम होने लगते हैं तो मानव उस स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर जाने लगते हैं। चूंकि अब यातायात के साधन उपलब्ध हैं इसलिए वे पैदल यात्रा नहीं करते हैं।
भारत में चूंकि रेल ही एक ऐसा माध्यम है जो लोगों को सस्ते दामों पर एक जगह से दूसरे स्थान पर पहुंचा देता है इसलिए आज अधिकतम लोग रेल से यात्रा करना पसंद करते हैं। रेल में बहुत अधिक यात्रियों के चढ़ जाने के कारण कई बार रेल को हादसों का शिकार भी होना पड़ता है।
लोग अपने समय को बचाने के चक्कर में अपनी जान की परवाह करना छोड़ भरी रेलगाड़ियों में भूसे की तरह भर जाते हैं। जिससे वह ना केवल अपने बल्कि दूसरे लोगों के लिए भी परेशानियां खड़ी कर देते हैं।
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