Badlane ki Shanta hi budhimata Ka map hai
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बहुत से वैज्ञानिक भी ये मानते हैं कि इस दौर का इंसान अक़्लमंदी के शिखर पर है. इसे बुद्धिमत्ता का स्वर्ण युग कहा जा रहा है.
आज से सौ साल पहले आईक्यू टेस्ट यानी अक़्लमंदी मापने वाला टेस्ट ईजाद किया गया था. तब से पैदा हुई हर पीढ़ी ने इस टेस्ट में पिछली पीढ़ी के मुक़ाबले हमेशा बेहतर प्रदर्शन किया है. यानी 1919 के मुक़ाबले आज का औसत इंसान भी जीनियस है. वैज्ञानिक इसे फ़्लिन इफेक्ट कहते हैं.
हमें अक़्लमंदी के इस दौर का ख़ूब आनंद उठा लेना चाहिए. क्योंकि हालिया संकेत ये इशारा कर रहे हैं कि बुद्धिमत्ता का ये स्वर्ण युग ख़त्म होने वाला है. कुछ लोगों का दावा है कि इंसान बुद्धिमानी के शिखर पर पहुंच चुका है. अब उसकी अक़्ल का और विकास नहीं होगा.
क्या वाक़ई ऐसा है? क्या आज के दौर में मानवता बुद्धिमानी के शिखर पर पहुंच चुकी है? अगर, वाक़ई ऐसा है, तो फिर जब हमारी आने वाली पीढ़ियां धरती उतरेंगी, तो क्या वो कम बुद्धिमान होंगी? ऐसा हुआ तो क्या होगा?
बदलने की क्षमता ही बुद्धिमता का माप है।
बदलने की क्षमता ही बुद्धिमता का माप है यह कथन शत प्रतिशत सत्य है।
क्योंकि परिवर्तन ही संसार का नियम है। यह संसार परिवर्तन से ही चलती है परिवर्तन होते होते ही मानव का जन्म हुआ है। परिवर्तन से ही यह ब्रह्मांड बनी है। आरंभ में पृथ्वी जलते हुए गोले की तरह थी किंतु इसमें धीरे-धीरे परिवर्तन होते गया और और इसमें इतना परिवर्तन हुआ कि अब इस पर जीवन संभव है और इतने सारे जीवित पशु पक्षी प्राणी यहां जीवन यापन कर रहे हैं यहां मौजूद हैं।
इसलिए यह कहना बहुत मुख्य बात है कि बदलने की क्षमता ही बुद्धिमता का माप है।
हमें पुराने रीति रिवाज पुराने रूढ़िवादी बातों रूढ़िवादी चीजों और सारी ऐसी क्रियाकलाप जो कि मानव जाति को प्रभावित करती है और इसका परिणाम बुरा होता है हमें वह सब बदलना चाहिए।
समय के साथ बहुत सारी चीजें बदल रही है इसलिए हमें भी बदलना चाहिए। इतने सारे आविष्कार हो रहे हैं। हमारी बुद्धिमत्ता मत आया है कि अध्ययन, ज्ञान और बुद्धि और ज्ञानी लोगों की सलाह से हम सारे चीज में परिवर्तन कर सकते।