badmintin essay in hindi
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बैडमिंटन खेलना मुझे और मेरे दोस्तों को बहुत पसंद है, बैडमिंटन खेल मेरे सबसे प्रिय खेलों में से एक है. यह खेल मुझे इसलिए भी पसंद है क्योंकि इसको खेलने के लिए ज्यादा लोगों की आवश्यकता नहीं पड़ती है. बैडमिंटन को खेलने के लिए सिर्फ दो ही व्यक्तियों की जरूरत पड़ती है. हमारे विद्यालय में रोज हमारे शिक्षक हमें बैडमिंटन खिलाते है.
मुझे बैडमिंटन खेलने वाले खिलाड़ी पी.वी संधू , साईना नेहवाल, पी गोपीचंद बहुत पसंद है और यह हर बार कॉमनवेल्थ गेम्स में हमारे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं और मेडल जीतकर लाते है जिससे हमारे देश का नाम ऊंचा होता है और मुझे इस बात पर बहुत गर्व होता है. बैडमिंटन को खेलने के लिए दो रैकेट और शटलकॉक की आवश्यकता होती है.
बैडमिंटन खेल हमारे देश में पुराने जमाने से खेला जाता रहा है. इस खेल को खेलने के लिए ज्यादा स्थान की जरूरत नहीं होती इसलिए इसको शहरों और गांवों में कहीं पर भी खेला जा सकता है और इसीलिए यह सभी क्षेत्रों के बच्चों और लोगों को बहुत पसंद है. हमारे विद्यालय के सभी बच्चों को यह गेम खिलाया जाता है और हर साल खेल महोत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें हमारे विद्यालय और अन्य विद्यालयों के चयनित विद्यार्थी हिस्सा लेते है.
बैडमिंटन खेल को विद्यालय स्तर, जिला स्तर, राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेला जाता है. इस खेल को लड़के और लड़कियां दोनों खेल सकते है. भारत में यह क्रिकेट के बाद में खेले जाने वाला दूसरा सबसे ज्यादा लोकप्रिय खेल है. बैडमिंटन खेलने से शारीरिक थकान दूर होती है और साथ ही दिमाग भी सुचारु रुप से कार्य करता है. कई बड़े लोग तो अपने मोटापे और शरीर की थकान को कम करने के लिए यह खेल रोज खेलते है.
दोस्तों आज हम बैडमिंटन खेल पर निबंध लिखने जा रहे हैं आशा करते है कि यह निबंध सभी विद्यार्थियों को पसंद आएगा. हमने इस निबंध को इस तरह से लिखा है कि सभी कक्षा के विद्यार्थी अपनी जरूरत के अनुसार चुन सकते है. Badminton खेल भारत में क्रिकेट के बाद दूसरा सबसे लोकप्रिय खेल है.
बैडमिंटन मुझे और मेरे दोस्तों का सबसे पसंदीदा खेल है. बैडमिंटन खेल का नाम ग्लूसेस्टरशायर में बैडमिंटन में ब्यूफोर्ड के ड्यूक के नाम पर पड़ा है. इस खेल की सर्वप्रथम शुरूआत 1870 में हुई थी. इस खेल को सेना के अधिकारी इंग्लैंड में खेला करते थे और जब वे भारत आए तब भारत में भी इस खेल को खेलने के कारण यह भारत में भी लोकप्रिय हो गया. इस खेल को खेलने के नियम बनाने के लिए 1893 में बैडमिंटन एसोसिएशन की स्थापना की गई थी.
बैडमिंटन खेल खेलने के लिए मैदान की लंबाई 44 फीट और चौड़ाई 20 फीट होती है. इस मैदान को दो बराबर भागों में बांटने के लिए एक नेट लगाया जाता है यह नेट दोनों छोर के धरातल से 5 फीट 1 इंच ऊंचा बांधा जाता है. नेट की मध्य से 1.98 मीटर की दूरी पर एक सफेद रंग की सर्विस लाइन होती है जहां से खिलाड़ी इस खेल को प्रारंभ करता है. यह खेल चारदीवारी के अंदर ही खेला जाता है. इस खेल को पहले कौन सी टीम खेलेगी इसके लिए सभी गेमों की तरह सिक्का उछाल कर यह तय किया जाता है.
बैडमिंटन खेल को जीतने के लिए इसमें 21 पॉइंट निर्धारित की जाती हैं जो भी टीम सबसे पहले ज्यादा पॉइंट बना लेती है वही जीत जाती है. दोनों टीम नियम के अनुसार यह खेल खेल रही है इसके लिए नेट के पास एक अंपायर बिठाया जाता है जो कि दोनों टीमों के पॉइंट की गणना करता है और साथ ही खेल के नियम तोड़ने पर पेनल्टी भी देता है.
बैडमिंटन को खेलने के लिए कम से कम दो प्रतिभागी और अधिकतम चार प्रतिभागी हो सकते है. इस खेल को खेलने के लिए दो रैकेट और शटलकॉक को की आवश्यकता होती है रैकेट हल्के लोहे की धातु से बना होता है जिसकी लंबाई 680 मिलीमीटर और चौड़ाई 230 मिलीमीटर होती है और इस का वजन 70 से 80 ग्राम होता है.
शटलकॉक की बात करें तो यह शंकुनुमा वस्तु होती है जिसमें चिड़िया की तरह कॉक के नीचे के भाग में पंख लगे होते है. इसके पंखों को कलहंस के पंखों से या फिर नायलॉन से बनाया जाता है. इसमें कुल 16 पंख होते हैं इस का वजन 4 से 5 ग्राम के बीच में होता है.
बैडमिंटन खेल कि भारत में लोकप्रियता इतनी है कि क्रिकेट के बाद दूसरे नंबर पर इसी खेल को खेला और पसंद किया जाता है. मुझे यह खेल इसलिए पसंद है क्योंकि इसके नियम भी आसान है और खेल को सीखना भी बहुत आसान है साथ ही इसे सभी वर्ग के लोग खेल सकते है. हमारे विद्यालय में भी यह गेम खेलना सिखाया जाता है.
मैं रोज शाम को कभी अपने दोस्तों के साथ तो कभी अपने भाई बहन के साथ बैडमिंटन खेलता हूं इसके बाद में दूध पीता हूं और एकाग्र मन से पढ़ाई करता हूं. इस खेल को खेलने में ज्यादा हो हल्ला नहीं होता इसलिए इस खेल से किसी को हानि नहीं होती है. बैडमिंटन खेल को लेकर हमारे विद्यालय में प्रतिवर्ष विभिन्न प्रतियोगिताएं करवाई जाती हैं. हमारे भारत देश में बहुत से अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं.
प्रकाश पादुकोण और पुलेला गोपीचंद ने ऑल ओपन इंग्लैंड प्रतियोगिता को जीता है और साथ ही 1980 से लेकर 2001 मैं भारत की तरफ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस खेल को खेला है. वर्ष 2015 में पूरे विश्व में इंडियन वूमेन सिंगल प्लेयर में साइना नेहवाल ने प्रथम स्थान प्राप्त किया था इसके साथ ही 2012 में ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त किया था. और 2016 के समर ओलंपिक में पी.वी संधू ने सिल्वर मेडल जीता है.
इन खिलाड़ियों से मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है मैं भविष्य में बैडमिंटन का एक अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी बनना चाहता हूं.
मैं भी भारत देश का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करना चाहता हूं. भारत में बैडमिंटन समय के साथ बहुत ही लोकप्रिय हो रहा है और भविष्य में यह क्रिकेट से भी ज्यादा लोकप्रिय हो जाएगा.
बैडमिंटन खेलने के लाभ – Badminton ke Labh
बैडमिंटन खेलने से शरीर चुस्त तंदुरुस्त रहता है.
इस खेल को खेलने से हमारे पूरे शरीर का विकास पूर्ण रूप से होता है.
बैडमिंटन खेलने से हमारी सोचने समझने की गति बढ़ती है.
इस खेल को खेलने से मोटापा भी दूर होता है.
इस खेल को खेलने से शरीर में रक्त स्त्राव सुचारु रुप से होता है.
बैडमिंटन खेलने से मुख्यत: दिल संबंधी बीमारियां नहीं होती है.
इस खेल को खेलने से हमारे शरीर की पैरों और हाथों की मांसपेशियां मजबूत होती है.
इस खेल को खेलने से एकाग्रता बढ़ती है जिससे हमें पढ़ाई करने में या फिर किसी अन्य कार्य को करने में अधिक समय नहीं लगता है.
बैडमिंटन खेलने से हमारा मस्तिष्क शांत रहता है और हम खुश रहते हैं.
इस खेल को खेलने से हमारे शरीर में किसी भी प्रकार के विकार के उत्पन्न होने की संभावना बहुत कम हो जाती है.
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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Badminton पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।