badti hui mehengayi par anuched
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स्वतंत्रता के बाद भारत धीरे-धीरे चहुँमुखी विकास कर रहा है । आज लगभग दैनिक उपयोग की सारी वस्तुओ का निर्माण अपने देश में ही होता है । जिन वस्तुओ के लिए पहले हम दूसरी पर निर्भर रहते थे, अब उनका उत्पादन हमारे देश में ही होता है । कृषि क्षेत्र में भी हमें आशातीत सफलता मिली है ।
आज देश में आधुनिक वैज्ञानिक ढंग से कृषि उत्पादन होता है । परन्तु हर क्षेत्र मे इतनी प्रगति के साथ हमारी वस्तुओ के मूल्य स्थिर नही हो पाते हैं । खाद्य पदार्थ, वस्त्र तथा अन्य वस्तुओ की कीमत दिन-प्रति-दिन इस प्रकार बढ़ती जा रही है कि वह उपभोक्ताओ की कमर तोड़ रही है ।
यद्यपि हमारे यहाँ लगभग सभी वस्तुओ का उत्पादन होता है, परन्तु उसका उत्पादन इतना नही हो पाता कि वह जनता को उचित मूल्य पर पूर्ण मात्रा में मिल सकें । उनकी पूर्ति की कमी से माँग बढ़ती है और माँग के बढ़ने से मूल्य का बढ़ना भी स्वाभाविक है ।
कभी-कभी किसी वस्तु की उत्पादन लागत इतनी बढ़ जाती है कि उपभोक्ता तक उसकी कीमत बहुत बढ जाती है, क्योकि उसके उत्पादन में सहायक सामग्रियो के लिए हमे विदेशो पर निर्भर रहना पड़ता है । कच्चे माल के लिए विदेशो की ओर ताकना पड़ता है । यातायात व्यय बढ़ जाता है जिससे सब ओर से उसकी उत्पादन लागत बढ़ जाती है ।
आज मूल्य-वृद्धि का सबसे बड़ा कारण है उत्पादकों मे राष्ट्रीय भावना का अभाव । हमारा उद्योगपति राष्ट्रीय भावना से वस्तुओं का उत्पादन नहीं करता है ।
उसके अन्दर अधिक लाभ कमाने की भावना अधिक होती है इसके लिए चाहे उसको राष्ट्र व समाज का अहित भी करना पड़ जाए तो वह अपने लाभ के लिए राष्ट्रीय हितो की बलि कर देता है । यही कारण है कि आज देश में महंगाई बढ़ रही है और घटिया वस्तुओ के उत्पादन से विश्व बाजार में भारत की साख गिरती जा रही है ।