Bahadur Shah Zafar in 150 words
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जफर का जन्म 24 अक्तूबर, 1775 में हुआ था। उनके पिता अकबर शाह द्वितीय और मां लालबाई थीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद जफर को 18 सितंबर, 1837 में मुगल बादशाह बनाया गया। यह दीगर बात थी कि उस समय तक दिल्ली की सल्तनत बेहद कमजोर हो गई थी और मुगल बादशाह नाममात्र का सम्राट रह गया था।
भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जफर को भारी कीमत भी चुकानी पड़ी थी। उनके पुत्रों और प्रपौत्रों को ब्रिटिश अधिकारियों ने सरेआम गोलियों से भून डाला। यही नहीं, उन्हें बंदी बनाकर रंगून ले जाया गया, जहां उन्होंने सात नवंबर, 1862 में एक बंदी के रूप में दम तोड़ा। उन्हें रंगून में श्वेडागोन पैगोडा के नजदीक दफनाया गया। उनके दफन स्थल को अब बहादुर शाह जफर दरगाह के नाम से जाना जाता है। आज भी कोई देशप्रेमी व्यक्ति जब तत्कालीन बर्मा (म्यंमार) की यात्रा करता है तो वह जफर की मजार पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देना नहीं भूलता। लोगों के दिल में उनके लिए कितना सम्मान था उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिंदुस्तान में जहां कई जगह सड़कों का नाम उनके नाम पर रखा गया है, वहीं पाकिस्तान के लाहौर शहर में भी उनके नाम पर एक सड़क का नाम रखा गया है। बांग्लादेश के ओल्ड ढाका शहर स्थित विक्टोरिया पार्क का नाम बदलकर बहादुर शाह जफर पार्क कर दिया गया है।
1857 में जब हिंदुस्तान की आजादी की चिंगारी भड़की तो सभी विद्रोही सैनिकों और राजा-महाराजाओं ने उन्हें हिंदुस्तान का सम्राट माना और उनके नेतृत्व में अंग्रेजों की ईंट से ईंट बजा दी। अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय सैनिकों की बगावत को देख बहादुर शाह जफर का भी गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने अंग्रेजों को हिंदुस्तान से खदेड़ने का आह्वान कर डाला। भारतीयों ने दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में अंग्रेजों को कड़ी शिकस्त दी।
शुरुआती परिणाम हिंदुस्तानी योद्धाओं के पक्ष में रहे, लेकिन बाद में अंग्रेजों के छल-कपट के चलते प्रथम स्वाधीनता संग्राम का रुख बदल गया और अंग्रेज बगावत को दबाने में कामयाब हो गए। बहादुर शाह जफर ने हुमायूं के मकबरे में शरण ली, लेकिन मेजर हडस ने उन्हें उनके बेटे मिर्जा मुगल और खिजर सुल्तान व पोते अबू बकर के साथ पकड़ लिया।
अंग्रेजों ने जुल्म की सभी हदें पार कर दीं। जब बहादुर शाह जफर को भूख लगी तो अंग्रेज उनके सामने थाली में परोसकर उनके बेटों के सिर ले आए। उन्होंने अंग्रेजों को जवाब दिया कि हिंदुस्तान के बेटे देश के लिए सिर कुर्बान कर अपने बाप के पास इसी अंदाज में आया करते हैं। आजादी के लिए हुई बगावत को पूरी तरह खत्म करने के मकसद से अंग्रेजों ने अंतिम मुगल बादशाह को देश से निर्वासित कर रंगून भेज दिया।
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- Bahadur Shah Zafar or Bahadur Shah || was the last Mughal emperor. He the second son of and became the successor to his father. Akbar ||, upon his death on 28 September 1837. He was a nominal Emperor, as the Mughal Emperor existed in name only and his authority was limited only to the walled city of Old Delhi....
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