Bahu Dhanu hi Tori Ladka Aisa Kisne kab aur Kyon Kaha
Answers
बहु धनुही तोरी लरिकाई, अस रिषि कबहूं न कीन गोसाई।
यह पंक्तियां लक्ष्मण ने परशुराम से कहीं हैं।
उन्होंने यह पंक्तियां उन्होंने परशुराम से तब कहीं जब सीता स्वयंवर में श्री राम ने शिवजी का धनुष तोड़ दिया था। परशुराम जो कि यह धनुष राजा जनक के पास धरोहर के रूप में रख गए थे, वह धनुष टूटने का समाचार पाकर तुरंत स्वयंवर स्थल पर पहुंचकर क्रोध करने लगे और लक्ष्मण से उनका वाद-विवाद होने पर लक्ष्मण ने परशुराम से यह बात कही कि हमने बचपन में बहुत से धनुष तोड़े हैं, ऐसे में इस धनुष के टूट जाने पर आप इतना विवाद क्यों कर रहे हैं।
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