bal ramkatha saransh
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मित्र हम आपको पहले अध्याय का सारांश लिखकर दे रहे हैं। आशा करते हैं कि यह आपकी सहायता करेगा।
अयोध्या एक संपन्न नगरी थी। वहाँ के राजा दशरथ थे जिनके शासन में प्रजा बहुत सुखी थी। राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं- कौशल्या, सुमित्रा तथा कैकेयी। तीनों रानियाँ नि:संतान थीं। राजा ने अपनी यह व्यथा मुनि वशिष्ठ को सुनाई। मुनि ने राजा को पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने की सलाह दी। इस प्रकार इस यज्ञ से तीनों रानियों ने पुत्रों को जन्म दिया। कौशल्या ने राम को, सुमित्रा ने लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न को जन्म दिया। कैकेयी के पुत्र का नांम भरत था। चारों राजकुमार गुणवान, बुद्धिमान तथा कुशल थे। अपने गुरुजनों से उन्होंने शीघ्र ही सारी विद्याएँ सीख लीं। राम सबसे बड़े थे। अपने गुणों के कारण वे राजा दशरथ को सबसे अधिक प्रिय थे। राजकुमार अब बड़े होने लगे। एक दिन दरबार में मुनि विश्वामित्र का आगमन हुआ। दशरथ ने मुनि को वचन दिया कि जो वे माँगेगे उन्हें अवश्य मिलेगा। मुनि ने अपने यज्ञ में आने वाली राक्षस बाधा के बारे में बताया तथा अपने यज्ञ को पूर्ण करने के लिए राम को वन ले जाने की बात कही। दशरथ बहुत दुखी हुए। परंतु मुनि वशिष्ठ के समझाने पर मान गए। दशरथ को राम की चिंता थी इसलिए उन्होंने लक्ष्मण को भी राम के साथ भेज दिया। दोनों पुत्र पिता की आज्ञा लेकर मुनि के साथ जंगल की ओर निकल पड़े।