bal sharm me kaunsa samas hai I'd Arpita.s.308
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बाल श्रमिक सामान्य रूप से शारीरिक, शैक्षणिक तथा बौद्धिक दृष्टिकोण से प्रभावित (अथवा पीड़ित) होते हैं, जब बच्चे किसी भी प्रारंभिक आयु से ही खतरनाक कामों में लग जाते हैं तो वास्तविक अर्थों में शिक्षा प्राप्त करने अथवा कामवाली मेघा की विकास करने के अवसर उनके लिए सिकुड़ से जाते हैं। वे बुरी तरह अपंग हो जाते हैं, वे अच्छे रोजगार प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं, वे अधिक वेतन तथा अधिक दक्षता प्राप्त नहीं कर पाते और इस प्रकार सामाजिक प्रगति की किसी भी आशा का गला घोंट दिया जाता है। ‘बच्चे काम के मोर्चे पर’ शीर्षक के अंतर्गत आई.एल.ओ. द्वारा कराए गए एक अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि ‘इसकी भारी संभावनाएं विद्यमान हैं कि अपनी प्रारंभिक आयु में ही काम पर जुट जाने वाली पीढ़ी जो सामाजिक सीढ़ी के सबसे निचले पायदान पर यह कर ही अपना जीवन व्यतीत करेगी, वह नियमित रूप से अकुशल रोजगार में लगी रहेगी और इस प्रकार मजबूरी कभी भी उसका पीछा नहीं छोड़ेगी। यह प्रमाणित हो चूका है कि बाल मजदूरी की संवृत्ति विकासशील देशों में रोजगार की स्थिति पर गंभीर दुष्प्रभाव डालती है। यह वेतनों में कमी लाती है और बाल श्रमिकों को अत्यंत असुरक्षित रोजगार की स्थिति में बनाये रखती है। प्रायः बाल श्रमिकों को रोजगार का परिणाम बालिगों की बेरोजगारी के रूप में निकलना है।”