Bal Shramik Vishay per 80-100 shabdon Mein feature lekhan
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Explanation:
हमारा देश एक विशाल देश है । इस देश में सभी धर्मों, जातियों, वेश-भूषा व विभिन्न संप्रदायों के लोग निवास करते हैं । देश ने स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं ।
विकास की आधुनिक दौड़ में हम अन्य देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं । परंतु इतनी सफलताओं के पश्चात् भी जनसंख्या वृद्धि, जातिवाद, भाषावाद, बेरोजगारी, महँगाई आदि अनेक समस्याएँ हैं जिनका निदान नहीं हो सका है अपितु उनकी जड़ें और भी गहरी होती चली जा रही हैं । बाल-श्रम भी ऐसी ही एक समस्या है जो धीरे-धीरे अपना विस्तार ले रही है ।
इस समस्या का जन्म प्राय: पारिवारिक निर्धनता से होता है । हमारे देश में आज भी करोड़ों की संख्या में ऐसे लोग हैं जो गरीबी की रेखा के नीचे रहकर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं । ऐसे लोगों को भरपेट रोटी भी बड़ी कठिनाई और अथक परिश्रम के बाद प्राप्त होती है । उनका जीवन अभावों से ग्रस्त रहता है ।
इन परिस्थितियों में उन्हें अपने बच्चों के भरण-पोषण में अत्यंत कठिनाई उठानी पड़ती है । जब परिस्थितियाँ अत्यधिक प्रतिकूल हो जाती हैं तो उन्हें विवश होकर अपने बच्चों को काम-धंधे अर्थात् किसी रोजगार में लगाना पड़ता है । इस प्रकार ये बच्चे असमय ही एक श्रमिक जीवन व्यतीत करने लगते हैं जिससे इनका प्राकृतिक विकास अवरुद्ध हो जाता है ।
“अभी तो तेरे पखं उगे थे,
अभी तो तुझको उड़ना था ।
जिन हाथों में कलम शोभती,
ADVERTISEMENTS:
उनमें कुदाल क्यों पकड़ाना था !
मूक बधिर पूरा समाज है,
उसे तो चुप ही रहना था ।”
देश में श्रमिक के रूप में कार्य कर रहे 5 वर्ष से 12 वर्ष तक के बालक बाल श्रमिक के अंतर्गत आते हैं । देश में लगभग 6 करोड़ से भी अधिक बाल श्रमिक हैं जिनमें लगभग 2 करोड़ से अधिक लड़कियाँ हैं । यह बाल श्रमिक देश के सभी भागों में छिटपुट रूप से विद्यमान हैं । देश के कुछ भागों, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश, उड़ीसा में इन श्रमिकों की संख्या तुलनात्मक रूप से अधिक है ।
देश में बढ़ती हुई बाल-श्रमिकों की संख्या देश के सम्मुख एक गहरी चिंता का विषय बनी हुई है । यदि समय रहते इसको नियंत्रण में नहीं लाया गया तब इसके दूरगामी परिणाम अत्यंत भयावह हो सकते हैं । हमारी सरकार ने बाल-श्रम को अपराध घोषित कर दिया है परंतु समस्या की जड़ तक पहुँचे बिना इसका निदान नहीं हो सकता है ।
अत: यह आवश्यक है कि हम पहले मूल कारणों को समझने व दूर करने का प्रयास करें । बाल-श्रम की समस्या का मूल है निर्धनता और अशिक्षा । जब तक देश में भुखमरी रहेगी तथा देश के नागरिक शिक्षित नहीं होंगे तब तक इस प्रकार की समस्याएँ ज्यों की त्यों बनी रहेंगी ।
देश में बाल श्रमिक की समस्या के समाधान के लिए प्रशासनिक, सामाजिक तथा व्यक्तिगत सभी स्तरों पर प्रयास आवश्यक हैं । यह आवश्यक है कि देश में कुछ विशिष्ट योजनाएँ बनाई जाएँ तथा उन्हें कार्यान्वित किया जाए जिससे लोगों का आर्थिक स्तर मजबूत हो सके और उन्हें बच्चों को श्रम की ओर विवश न करना पड़े ।
प्रशासनिक स्तर पर सख्त से सख्त निर्देशों की आवश्यकता है जिससे बाल-श्रम को रोका जा सके । व्यक्तिगत स्तर पर बाल श्रमिक की समस्या का निदान हम सभी का नैतिक दायित्व है । इसके प्रति हमें जागरूक होना चाहिए तथा इसके विरोध में सदैव आगे आना चाहिए ।
हमें विश्वास है कि हमारे प्रयास सार्थक होंगे और बाल श्रमिक की समस्या का उन्मूलन हो सकेगा । राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार की व्यवस्था जन्म लेगी जिससे पुन: किसी बालक को अपना बचपन नहीं खोना पड़ेगा । ये सभी बच्चे वास्तविक रूप में बढ़ सकेंगे तथा अच्छी शिक्षा ग्रहण कर देश को गौरवान्वित करेंगे ।
बाल श्रम निबंध
Explanation:
यद्यपि मानव इतिहास के अधिकांश समय में बच्चे नौकर और प्रशिक्षु थे, लेकिन औद्योगिक क्रांति के दौरान बाल श्रम नए चरम पर पहुंच गया। बच्चों ने बहुत कम पैसे में अक्सर खतरनाक कारखाने की स्थितियों में लंबे समय तक काम किया। बच्चे मजदूर के रूप में उपयोगी थे क्योंकि उनके आकार ने उन्हें कारखानों या खानों में छोटे स्थानों में स्थानांतरित करने की अनुमति दी जहां वयस्क फिट थे, बच्चों को प्रबंधन और नियंत्रण करना आसान था और शायद सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों को वयस्कों की तुलना में कम भुगतान किया जा सकता है।
बाल श्रमिकों ने अक्सर अपने परिवारों को सहायता करने के लिए काम किया, लेकिन एक शिक्षा के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्नीसवीं सदी के सुधारकों और श्रम आयोजकों ने बाल श्रम को प्रतिबंधित करने और काम करने की स्थिति में सुधार करने की मांग की, लेकिन अंततः जनता की राय लेने के लिए बाजार में दुर्घटना हुई। महामंदी के दौरान, अमेरिकी चाहते थे कि सभी उपलब्ध नौकरियां बच्चों के बजाय वयस्कों के लिए जाएं।