bal vivah par nibandh in hindi
Answers
Answered by
107
हमारे समाज में इस कुप्रथा का प्रचलन मध्यकाल से हुआ. जब विदेशी विधर्मी यवन तुर्क अक्रान्ताओ ने अपनी वासना पूर्ति केलिए कन्या अपहरण और जबरदस्ती रोटी बेटी का सम्बन्ध बनाने की कुचाल चली.इस कारण भारतीय हिन्दू समाज में अशिक्षित एवं अशक्त लोगों ने अपनी कन्या का बालपन सेही विवाह करना उचित समझा. दहेज प्रथा के कारण भी बाल विवाह का प्रचलन तेजी से बढ़ा. उस समय में किसी भी घर में बेटी के जन्म को अशुभ माना जाता था.बालक एवं बालिका पूर्ण रूप से नासमझ रहने के कारण बाल विवाह नामक संस्कार का प्रखर प्रतिरोध नही कर पाते थे. दूसरी तरफ कम उम्रः में ही बेटी की शादी कर देने से माता-पिता को दहेज देने से भी छुटकारा मिल जाता था. इस प्रकार की सोच के घर कर लेने के कारण मध्यमऔर निम्न वर्ग परिवारों में बाल विवाह का प्रचलन तेजी से बढ़ता गया.
बाल विवाह का अभिशाप
विवाह संस्कार में कन्यादान को पवित्र एवंमांगलिक कार्य माना जाता है. इस अवसर पर कन्या के माता-पिता अपनी हैसियत के मुताबिक अपनी बेटी को उपहार में कुछ वस्तुए व धन देते है. यही दहेज़ प्रथा धीरे-धीरे विकृत स्थति में चली गई. इसी का परिणाम था कि परिवार में बेटी का जन्म को भी लोग भार मानने लगे.बेटी को पराया धन समझने वाली सोच के लोग बालपन में ही उनका विवाह करवाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते है. मगर इस गलतपरम्परा ने कालान्तर में समाज में कई बड़ी समस्याओं को जन्म देने का कार्य किया. कम उम्र में लड़के-लड़की के विवाह हो जाने के कारण जल्दी ही वे संतानोत्पत्ति का कार्य आरम्भ कर देते है. जिसकी वजह से अनियंत्रितजनसंख्या को बढ़ावा मिलने के साथ ही मध्यम और निम्न वर्ग के जीवन स्तर में भी गिरावट आती है.बाल विवाह की इस सामाजिक प्रथा के कारण जो उम्रः बच्चो के खेलने कूदने व पढ़ने की होतीहै. उस उम्रः में उन्हें विवाह जैसे जिम्मेदारी भरे बंधन में अपरिपक्व अवधि में ही जकड़ देते है. जब बालक न तो शिक्षा प्राप्त कर पाता है, न उनका ठीक से शारीरिक विकास हो पाता है. असमय पति की मौत और कम उम्रः में नवयुवतियों के विधवा बन जाने का मुख्य कारण बाल विवाह ही है. इस तरह के दुष्प्रभावों के कारण बाल विवाह तथा अनमेलविवाह आज हमारे समाज के लिए सबसे बड़ी समस्या का रूप धारण कर चूका है.
बाल विवाह की समस्या और समाधान
इस बाल विवाह की प्रथा की बुराइयों व दुष्परिणामों को देखकर समय समय पर समाज सुधारकों ने इस प्रथा को जड़ से समाप्त करनेकी दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य किये. भारत सरकार ने भी इसकी रोकथाम के लिए बाल विवाह को अपराध मानते है कठोर कानून बनाए है. साथ ही सभी के लिए विवाह की न्यूनतम आयु लड़को के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित कर रखी है.इस आयु से कम उम्रः के बच्चो का विवाह करनाकानूनन जुर्म है ऐसा करने वाले संतानों के माँ-बाप व प्रतिभागियों के लिए कठोर सजा काभी प्रावधान किया गया है. इतना सब कुछ होतेहुए भी आज सब कुछ खुले आम हो रहा है. मुख्यतः राजस्थान में अक्षय तृतीया (आखातीज) के अवसर पर बाल विवाहों की बाढ़ सीआ जाती है. अचम्भे की बात यह है कि इस प्रकार के चाइल्ड मैरिज प्रोग्राम्स में कानून निर्माता और इनके कथित रक्षक भी ऐसे लोगों के साथ बैठे नजर आते है.बाल विवाह की भयानक समस्या से छुटकारा पाने के लिए जन-जागरण सबसे जरुरी कदम उठायाजाना चाहिए. अब तो भारत सरकार ने विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र बनवाना भी अनिवार्य करदिया है. सरकार के इस कदम से बाल विवाह कार्यक्रमों पर कुछ हद तक लगाम कसने में मदद मिल सकती है. साथ ही सरकार और समाज सुधारकों को इस दिशा में और अधिक सार्थक कदम उठाएं जाने की आवश्यकता है.
उपसंहार
बाल विवाह यानि कम उम्र में लड़के लड़की की शादी से वर वधु दोनों का जीवन अंधकारमय बन जाता है. इसके चलन से समाज में कई और समस्याओं और विकृतियों का जन्म हो जाता है.अतः अब वक्त आ चूका है हम सबकों जगना होगा और इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए लम्बीसामूहिक लड़ाई लड़नी होगी. तभी हमारे समाज कोबाल विवाह जैसे दंश से छुटकारा दिलाया जा सकता है.
HOPEFULLY THIS WILL HELP YOU
MARK AS BRAINLIEST....
बाल विवाह का अभिशाप
विवाह संस्कार में कन्यादान को पवित्र एवंमांगलिक कार्य माना जाता है. इस अवसर पर कन्या के माता-पिता अपनी हैसियत के मुताबिक अपनी बेटी को उपहार में कुछ वस्तुए व धन देते है. यही दहेज़ प्रथा धीरे-धीरे विकृत स्थति में चली गई. इसी का परिणाम था कि परिवार में बेटी का जन्म को भी लोग भार मानने लगे.बेटी को पराया धन समझने वाली सोच के लोग बालपन में ही उनका विवाह करवाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते है. मगर इस गलतपरम्परा ने कालान्तर में समाज में कई बड़ी समस्याओं को जन्म देने का कार्य किया. कम उम्र में लड़के-लड़की के विवाह हो जाने के कारण जल्दी ही वे संतानोत्पत्ति का कार्य आरम्भ कर देते है. जिसकी वजह से अनियंत्रितजनसंख्या को बढ़ावा मिलने के साथ ही मध्यम और निम्न वर्ग के जीवन स्तर में भी गिरावट आती है.बाल विवाह की इस सामाजिक प्रथा के कारण जो उम्रः बच्चो के खेलने कूदने व पढ़ने की होतीहै. उस उम्रः में उन्हें विवाह जैसे जिम्मेदारी भरे बंधन में अपरिपक्व अवधि में ही जकड़ देते है. जब बालक न तो शिक्षा प्राप्त कर पाता है, न उनका ठीक से शारीरिक विकास हो पाता है. असमय पति की मौत और कम उम्रः में नवयुवतियों के विधवा बन जाने का मुख्य कारण बाल विवाह ही है. इस तरह के दुष्प्रभावों के कारण बाल विवाह तथा अनमेलविवाह आज हमारे समाज के लिए सबसे बड़ी समस्या का रूप धारण कर चूका है.
बाल विवाह की समस्या और समाधान
इस बाल विवाह की प्रथा की बुराइयों व दुष्परिणामों को देखकर समय समय पर समाज सुधारकों ने इस प्रथा को जड़ से समाप्त करनेकी दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य किये. भारत सरकार ने भी इसकी रोकथाम के लिए बाल विवाह को अपराध मानते है कठोर कानून बनाए है. साथ ही सभी के लिए विवाह की न्यूनतम आयु लड़को के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित कर रखी है.इस आयु से कम उम्रः के बच्चो का विवाह करनाकानूनन जुर्म है ऐसा करने वाले संतानों के माँ-बाप व प्रतिभागियों के लिए कठोर सजा काभी प्रावधान किया गया है. इतना सब कुछ होतेहुए भी आज सब कुछ खुले आम हो रहा है. मुख्यतः राजस्थान में अक्षय तृतीया (आखातीज) के अवसर पर बाल विवाहों की बाढ़ सीआ जाती है. अचम्भे की बात यह है कि इस प्रकार के चाइल्ड मैरिज प्रोग्राम्स में कानून निर्माता और इनके कथित रक्षक भी ऐसे लोगों के साथ बैठे नजर आते है.बाल विवाह की भयानक समस्या से छुटकारा पाने के लिए जन-जागरण सबसे जरुरी कदम उठायाजाना चाहिए. अब तो भारत सरकार ने विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र बनवाना भी अनिवार्य करदिया है. सरकार के इस कदम से बाल विवाह कार्यक्रमों पर कुछ हद तक लगाम कसने में मदद मिल सकती है. साथ ही सरकार और समाज सुधारकों को इस दिशा में और अधिक सार्थक कदम उठाएं जाने की आवश्यकता है.
उपसंहार
बाल विवाह यानि कम उम्र में लड़के लड़की की शादी से वर वधु दोनों का जीवन अंधकारमय बन जाता है. इसके चलन से समाज में कई और समस्याओं और विकृतियों का जन्म हो जाता है.अतः अब वक्त आ चूका है हम सबकों जगना होगा और इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए लम्बीसामूहिक लड़ाई लड़नी होगी. तभी हमारे समाज कोबाल विवाह जैसे दंश से छुटकारा दिलाया जा सकता है.
HOPEFULLY THIS WILL HELP YOU
MARK AS BRAINLIEST....
Answered by
7
बाल-विवाह:- भारतीय जीवन मे व्याप्त कुरुतिया में बाल-विवाह भी एक भयंकर कुरीति है। यो तो 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की का विवाह एक दंडनीय अपराध घोषित किया जा चुका है। फिर भी इसके उल्लंघन का रीति मानवता को चुनोती देने से बाज नही आते। शहरों की अपेक्षा गाँवो में बाल-विवाह की समस्या बहुधा दिखाई पड़ती है। बाल-विवाह से जहाँ शारीरिक और मानसिक विकास अधर में रह जाते है, वहीं जनसंख्या व्रद्धि की भयंकर समस्या बढ़ जाती है।
Similar questions
Math,
8 months ago
Physics,
8 months ago
Science,
8 months ago
India Languages,
1 year ago
India Languages,
1 year ago
English,
1 year ago
Science,
1 year ago