balak chandragupta निडर वीर के बारे मे 5 वाक्या banaya
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अपने दंभ में घनानन्द ने अपने हितेशियों और साथियों का भी अपमान करना शुरू कर दिया था। इसी क्रम में उसने अपने दरबार के सबसे अधिक ज्ञानी और विश्वासपात्र विष्णुगुप्त का भी अपमान कर दिया था। इस कारण विष्णुगुप्त ने पाटलीपुत्र छोड़ दी। दरबार छोड़ने के कुछ ही समय बाद जब उन्हें चन्द्रगुप्त के रूप में एक मेधावी और निडर बालक दिखाई दिया तब उन्होनें उस कच्ची मिट्टी रूपी बालक को एक वीर शासक के रूप में तैयार करना शुरू कर दिया।
कुछ समय बाद चन्द्रगुप्त ने विष्णुगुप्त जिसे बाद में चाणक्य के नाम से जाना गया, घनानन्द के शासन में सेंध लगा दी और अपनी सैन्य शक्ति में वृद्धि करनी शुरू कर दी। इसके बाद एक कुशल रणनीति के अंतर्गत मगध के सीमांत प्रदेशों में आक्रमण करके उन्हें जीतना शुरू कर दिया। चाणक्य की मदद के साथ ही चन्द्रगुप्त ने धीरे-धीरे घनानन्द के खजाने को लूटकर अपने हाथ मजबूत किए और सैन्य बल को मजबूत करना आरंभ कर दिया।
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