balgobin bhagat ke madhur gayan se sammohit hokar log har prakar ki pareshani ko bhul jate the! path ke adhar par utar dijiye
Answers
Answered by
20
बालगोबिन भगत अलौकिक संगीत के ऐसे गायक थे | कबीर के पद उनके कंठ से निकलकर सजीव हो उठते थे | के समय भरी शाम को भी भगत का गायन अपनी दिनचर्या के अनुसार जारी रहता| भक्तिगीत को गाने में वे कभी थकान नहीं महसूस करते थे | इस प्रकार स्वरों की ताजगी भगत की गायन की एक प्रमुख विशेषता थी | भगत के गायन एक निश्चित ताल व गति थी | भगत के स्वर के आरोह के साथ श्रोताओं का मन भी ऊपर उठता चला जाता और लोग अपने तन-मन की सुध-बुध खोकर संगीत की स्वर लहरी में ही तल्लीन हो जाते | भगत के स्वर की तरंग लोगों के मन के तारों को झंकृत कर देती | ऐसा लगता जैसे संगीत में दूबाहुआ उनका एक-एक शब्द स्वर्ग की ओर जा रहा हो |
Answered by
4
hope its help you
please mark me brainnliest
Attachments:
Similar questions
Math,
2 months ago
Business Studies,
2 months ago
Math,
5 months ago
Business Studies,
9 months ago
Business Studies,
9 months ago