Balgobin bhagat ki mrityu unhi ke anurup hui ashay sphasht kare
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बाल गोबिन भगत अपने जीवन में कभी आराम से नहीं बैठे। वे हमेशा ईश्वर के भजन तथा कीर्तन करते रहते थे। वे किसी पर बोझ नहीं बनना चाहते थे। उनकी मृत्यु उन्ही के अनुरूप शांत रुप से हुई। वे हर वर्ष गंगा स्नान को जाते तथा नेम व्रत रखते थे अर्थात घर से कुछ खाकर निकलते तथा वापिस आने पर ही खाते। लेकिन अब वृद्धावस्था के कारण उनकी तबियत खराब हो गई थी , बुखार होने के बावजूद नेम व्रत करना तथा ईशवर के भजन गाना नहीं छोड़ा। एक दिन जब उन्होंने नेम व्रत कर रखा था तब उनका शाम का गीत तो सुनाई दिया लेकिन भोर का गीत नहीं सुनाई दिया। वह जाकर देखा तो पता चला बाल गोबिन भगत नहीं रहे। अतः स्पष्ट है की उनकी मृत्यु उन्ही के अनुरूप शांत रूप से हुई।
Answer:
जिस तरह के टेक और नेम-व्रत वाली भगत की दिनचर्या थी, उसी प्रकार उनकी मृत्यु हुई। वे अपने गायन के माध्यम से अपने साहब की निकटता पाना चाहते थे। ऐसा उन्होंने मृत्यु से पूर्ण सायंकाल तक गीत गाकर किया। इसके अलावा वे जीवन में दोनों समय स्नान-ध्यान करते थे। इसे उन्होंने आमरण निभाया। इस तरह हम कह सकते हैं कि भगत की मृत्यु । उन्हीं के अनुरूप हुई
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