balgobin bhagat summary
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बाल गोविंद भगत एक सच्चे व्यक्ति से वे सन्यासी ना होकर भी सन्यासी का किरदार निभा रहे हैं वह बहुत ही नेक the
वह बहुत ही अच्छा गाना गाया करते थे उनका एक बेटा और एक बहू भी चीज में एक कबीरपंथी व्यक्ति थे वह उनके खेत में जो भी अनाज आया करता था वह कभी के यहां पर दे आते थे और बदले में उन्हें जो भेजा था वह उसे प्रसाद के रूप में ले लेते थे जब उनका बेटा मर गया था तब उन्होंने अपने बेटे का क्रिया कर्म खुशी-खुशी किया था और अपनी बहू को दूसरी शादी करने के लिए भी बोला था उसके भाई को भी बोला था परंतु उनकी बहू उनको छोड़कर नहीं जाना चाहती थी वह बाल गोविंद के बुढ़ापे का सहारा बनना चाहती थी उन्हें बुढ़ापे में दो दिया देना चाहती थी
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