Balika ka parichay poem ke all paragraph ka meaning in Hindi
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"बालिका का परिचय" कविता by सुभद्रा कुमारी चौहान
यह मेरी गोदी की शोभा, सुख सोहाग की है लाली
शाही शान भिखारन की है, मनोकामना मतवाली
दीप-शिखा है अँधेरे की, घनी घटा की उजियाली
उषा है यह काल-भृंग की, है पतझर की हरियाली
मेरी बिटिया मेरी गोदी की शोभा और मेरे सुख सौभाग्य की लालिमा है यह मेरे लिए भिखारिन की शाही शान है और मेरी मनोकामना हो को पूरा करने वाली है |
यह मेरे दुख में दीप के समान है और कठिनाइयों में आशा की उजियाली है | यह सुख और आनंद की उषा है और मेरे जीवन में आए पतझड़ के लिए हरियाली है |
सुधाधार यह नीरस दिल की, मस्ती मगन तपस्वी की
जीवित ज्योति नष्ट नयनों की, सच्ची लगन मनस्वी की
बीते हुए बालपन की यह, क्रीड़ापूर्ण वाटिका है
वही मचलना, वही किलकना,हँसती हुई नाटिका है
मेरी बिटिया नीरस दिल के लिए अमृत की धारा है और एक तपस्वी की प्रसन्नता है | मेरी बेटी आंखों की गई रोशनी को लाने वाली जीवन ज्योति है और एक मनस्वी की सच्ची लगन है | यह मेरे बीते हुए बचपन को लौटने वाली क्रीडा पूर्ण वाटिका है | यह एक नाटिका की भांति मचलती और हंसती हुई है |
मेरा मंदिर,मेरी मसजिद, काबा काशी यह मेरी
पूजा पाठ,ध्यान,जप,तप,है घट-घट वासी यह मेरी
कृष्णचन्द्र की क्रीड़ाओं को अपने आंगन में देखो
कौशल्या के मातृ-मोद को, अपने ही मन में देखो
मेरी बेटी मेरे लिए मंदिर, मस्जिद, काबा, काशी के समान पवित्र है | यह मेरे लिए पूजा-पाठ, ध्यान, जप, तप है और यह मेरे घट-घट में निवास करती है | मेरी बेटी जब खेलती है तो मैं भगवान कृष्ण चंद्र की क्रियाओं को अपने आंगन में देखती हूं | इस प्रकार मैं भी माता कौशल्या के आनंद को अपने मन में अनुभव करती हूँ |
प्रभु ईसा की क्षमाशीलता, नबी मुहम्मद का विश्वास
जीव-दया जिनवर गौतम की,आओ देखो इसके पास
परिचय पूछ रहे हो मुझसे, कैसे परिचय दूँ इसका
वही जान सकता है इसको, माता का दिल है जिसका
मेरी बेटी प्रभु ईसा की क्षमा शीलता और नबी मोहम्मद का विश्वास है | भगवान गौतम की जीव दया भी उसमें है | मुझसे मेरी बेटी का परिचय पूछ रहे हैं | मैं अपनी बेटी का परिचय कैसे दूँ ? क्योंकि मेरी बेटी को वही जान सकता है जिसमें माता का दिल है |