Balk bolanath ko kenhiya kon our kes banatha tha ? Eska kya kareun tha
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पुराणों में संस्मरण है कि एक बार मां पार्वती ने बड़ी उत्सुकता से बाबा श्री विश्वनाथ महादेव से यह प्रश्न किया कि ऐसा क्यूं होता है कि आप अजर अमर हैं और मुझे हर जन्म के बाद नए स्वरूप में आकर फिर से वर्षो की कठोर तपस्या के बाद आपको प्राप्त करना होता है। जब मुझे आपको ही प्राप्त करना है तो फिर मेरी यह तपस्या क्यूं? मेरी इतनी कठोर परीक्षा क्यूं? और आपके कंठ में पड़ी यह परमुण्ड माता तथा आपके अमर होने का कारण व रहस्य क्या है? महाकाल ने पहले तो माता को यह गूढ़ रहस्य बताना उचित नहीं समझा, परंतु स्त्री हठ के आगे उनकी एक न चली। भगवान शंकर ने मां पार्वती जी से एकांत व गुप्त स्थान पर अमर कथा सुनने को कहा ताकि कोई न सुने। क्योंकि, जो इस कथा को सुन लेता, वो अमर हो जाता। इस कारण शिव जी मां पार्वती को लेकर किसी गुप्त स्थान की ओर चल पड़े। सबसे पहले भगवान भोले ने अपनी सवारी नंदी को पहलगाम पर छोड़ दिया, इसलिए बाबा अमरनाथ की यात्रा पहलगाम से शुरू करने का बोध होता है। आगे चलने पर चंद्रमा को चंदनबाड़ी में अलग कर दिया और गंगा जी को पंचतरणी में। उसके बाद कंठाभूषण सर्पो को शेषनाग पर छोड़ दिया। इस प्रकार इस पड़ाव का नाम शेषनाग पड़ा। आगे की यात्रा में अगला पड़ाव गणेश टॉप पड़ता है, इस स्थान पर बाबा ने अपने पुत्र गणेश को भी छोड़ दिया था, जिसको महागुणा का पर्वत भी कहा जाता है। पिस्सू घाटी में पिस्सू नामक कीड़े को भी त्याग दिया। इस प्रकार महादेव ने अपने पीछे जीवनदायिनी पांचों तत्वों को भी अपने से अलग कर दिया। इसके साथ मां पार्वती संग एक गुप्त गुफा में प्रवेश कर गए। कथा कोई न सुने इसलिए शिव जी ने चमत्कार से गुफा के चारों ओर आग प्रज्ज्वलित कर दी। फिर अमर कथा मां पार्वती को सुनाना शुरू किया। कथा सुनते हुए देवी पार्वती को नींद आ गई। भगवान शिव कथा सुनाते रहे। इस समय दो सफेद कबूतर कथा सुन रहे थे और बीच-बीच में गूं-गूं की आवाज निकाल रहे थे। शिव जी को लग रहा था कि मां पार्वती कथा सुन हुंकार भर रही है। इस तरह दोनों कबूतरों ने अमर होने की पूरी कथा सुन ली।
कथा समाप्त होने पर शिव का ध्यान पार्वती की ओर गया। शिव जी ने सोचा कि पार्वती सो रही है तो कौन हामी भरी रहा था। तब महादेव की दृष्टि कबूतरों पर पड़ी तो क्रोधित हो गए और उन्हें मारने के लिए तत्पर हुए। इस पर कबूतरों ने शिव जी से कहा कि हे प्रभु हमने आपसे अमर कथा सुन ली है। यदि आप हमें मार देंगे तो अमर होने की यह कथा झूठी हो जाएगी। इस पर शिव जी ने कबूतरों को जीवित छोड़ दिया और उन्हें आर्शीवाद दिया कि तुम सदैव इस स्थान पर शिव-पार्वती के प्रतीकचिन्ह के रूप में निवास करोगे।
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