Bani ke bare mein Kabir ji kya Kahate Hain
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दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय जो सुख में सुमिरन करे, दुख काहे को होय ...
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोय ...
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर ...
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ...
साईं इतनी दीजिए, जा में कुटुंब समाए ...
जैसे तिल में तेल है, ज्यों चकमक में आग ...
माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर
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