banveer ka character sketch in hindi dipdan
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भारतीय संस्कृति में पन्ना धाय का नाम मातृत्व, वात्सल्य, करुणा, साहस एवं बलिदान का शाश्वत प्रतीक बन गया है। मेवाड़ राजसिंहासन के उत्तराधिकारी बालक उदयसिंह को बनवीर से बचाने के लिए पन्ना धाय जो मार्ग निकालती है, वह अद्वितीय है। अपने बेटे को उदय के स्थान पर सुलाकर पन्ना उदय को राजसेवक बारी के द्वारा सुरक्षित स्थान तक पहुँचा देती है। ...अन्ततः पन्नाधाय की सूझबूझ और हिम्मत से उदय सिंह राजसिंहासन पर आरूढ़ होता है। कथानक प्रख्यात है और इसे आधार बनाकर अनेक रचनाएँ लिखी गयी हैं। शचीन सेनगुप्ता ने बांग्ला में ‘पन्ना दाई’ नाम से नाटक लिखा। इसी नाटक का अनुवाद नेमिचन्द्र जैन ने ‘पन्ना धाय’ शीर्षक से किया है। रंगकर्म के विभिन्न पक्षों में स्वर्गीय नेमिचन्द्र जैन की विलक्षण क्षमताओं से हिन्दी संसार सुपरिचित है। ‘पन्ना धाय’ नाटक उनकी अनुवाद कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
नेमिचन्द्र जैन ने मूल बांग्ला नाटक को हिन्दी की प्रकृति में प्रस्तुत करते हुए उसकी मौलिक व्यंजना को सुरक्षित रखा है। कई अर्थों में संवर्धित किया है।
कीर्तिशेष साहित्यसर्जक नेमिचन्द्र जैन की धवल स्मृति में ‘पन्ना धाय’ नाटक इस विश्वास के साथ प्रस्तुत है कि पाठक इस कृति में मानवीय मूल्यों का साक्षात्कार कर सकेंगे।
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बनवीर सिंह
बनवीर सिंह एक लालची और निर्दयी व्यक्ति था जो चित्तोड का राज्य प्राप्त करने के लिए किसी की भी हत्या कर सकता था। उसने विक्रमादित्य की हत्या करने के बाद उदय सिंह की हत्या करने के लिए एक योजना बनाई। उसने पन्ना को जागीर देने का प्रलोभन दिया। जब उसने स्वीकार नहीं किया तो उसने क्रोधित होकर चन्दन को उदय सिंह समझकर उसकी हत्या कर दी।
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