Hindi, asked by khushipasad03, 7 months ago

Bapu ke prati kavita by Sumitranandan Pant ki vyakha

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Answered by souganlokesh
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Answered by Anonymous
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बापू के प्रति , इस कविता की व्याख्या कवि सुमित्रानंदन पंत जी ने इस प्रकार की है।

• कवि पन्त जी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नमन करते हुए कहते है कि हे महत्मन ! तुम्हारे शरीर में मांस और रक्त का अभाव है तुम मात्र हड्डियों का एक ढांचा हो।

• तुम पवित्रता एवं उत्तम ज्ञान से परिपूर्ण आत्मा हो। तुम्हारे विचारों में प्राचीन तथा नवीन दोनों आदर्शों का सार है। तुममें जीवन की संपूर्णता झलकती है। तुममें विश्व की संपूर्ण असारता को समा लेने की क्षमता है।

• वे कहते है कि प्राय सभी प्राणी पृथ्वी पर जन्म लेकर सुख की कामना करते है परन्तु तुमने धरती पर सत्य की खोज करने के लिए अवतार लिया।आपने मानव की अकर्मण्यता , हिंसा तथा प्रतिद्वंद्वीता को दूर करके उसमे ज्ञान, अहिंसा तथा आत्मिक शक्ति को जागृत किया।

• कवि कहते है कि आप कथनों की अपेक्षा कर्म को अधिक महत्व देते थे।

• तुमने सर्वस्व त्याग करके मुक्ति की प्राप्ति कर ली।

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