barat ki vividha par nibhandha
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हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी आदि अनेक धर्मों एवं पंथों को मानने वाले लोग भारत में निवास करते है. भारत के हर इलाके में वहां की अपनी लोककथाएं, लोकगीत व नृत्य मिलते है, जिनका सम्बन्ध मौसम और फसल बौने अथवा काटने के अवसरों से जुड़ा होता है.
असम में बीहू, केरल में ओणम, तमिलनाडु में पोंगल, राजस्थान में गणगौर, बिहार में छठपूजा, पंजाब में बैशाखी आदि त्योंहार मनाएं जाते है. हर धर्म के अपने-अपने त्योहार है.
भारत में दीपावली, होली, दुर्गापूजा, महावीर जयंती, ईद, क्रिसमस, गुरुनानक जयंती, नवरात्र आदि त्योहार बड़े धूम धाम से मनाये जाते है.
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हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी आदि अनेक धर्मों एवं पंथों को मानने वाले लोग भारत में निवास करते है. भारत के हर इलाके में वहां की अपनी लोककथाएं, लोकगीत व नृत्य मिलते है, जिनका सम्बन्ध मौसम और फसल बौने अथवा काटने के अवसरों से जुड़ा होता है.
असम में बीहू, केरल में ओणम, तमिलनाडु में पोंगल, राजस्थान में गणगौर, बिहार में छठपूजा, पंजाब में बैशाखी आदि त्योंहार मनाएं जाते है. हर धर्म के अपने-अपने त्योहार है.
भारत में दीपावली, होली, दुर्गापूजा, महावीर जयंती, ईद, क्रिसमस, गुरुनानक जयंती, नवरात्र आदि त्योहार बड़े धूम धाम से मनाये जाते है.
भारत की विविधता को देखे तो उत्तर में हिमालय के ऊँचे पहाड़ और गंगा यमुना का उपजाऊ मैदान है, दक्षिण में पठार और समुद्र है, तो पश्चिम में रेगिस्तान है.
हमारे भारत में कुछ भाग ऐसे है, जहाँ बारह महीनों बर्फ जमी रहती है. देश में गर्मी, सर्दी और बरसात के अलग अलग मौसम होते है. भारत के अलग-अलग भागों में खान पान भी अलग अलग है.
उदहारण के लिए दक्षिण में इडली डोसा, राजस्थान में दाल, बाटी, चूरमा, गुजरात में ढोकला खमण, पंजाब में मक्की की रोटी और सरसों का साग और बिहार में लिट्टी चोखा प्रचलित है.
एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र के वस्त्रों और पहनावें की शैली में भी अंतर है. अब हम उन कारकों की चर्चा करेगे जो भारत की विविधता में एकता (Unity in Diversity) को स्थापित करते है.
भारत की राष्ट्रीय एकता के कारक
विविधता ने हमारी संस्कृति एवं सभ्यता को सम्रद्ध ही किया है. ‘विविधता में एकता’हमारे देश की विशेषता है, जिसकी सराहना पूरी दुनिया में की जाती है. भारत में ऐसे अनेक कारक है, जो हमारे देश को एकता के सूत्र में पिरोकर रखते है.
भौगोलिक बनावट- सबसे पहले भारत की भौगोलिक बनावट इसे एकीकृत रखती है. उत्तर और उत्तर पूर्व में हिमालय पर्वत, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर, दक्षिण में हिन्द महासागर भारत को एक ख़ास पहचान देते है. देश के अंदर लम्बी नदियाँ एक भाग को दूसरें भाग से जोडती है.
हमारा स्वतंत्रता संग्राम- ऐतिहासिक रूप से अनेक चक्रवर्ती राजाओं और बादशाहों ने भारत को एकता के सूत्र में बांधकर रखा था.
जब अंग्रजों का भारत पर राज था तो भारत के सभी धर्म, भाषा और क्षेत्र की महिलाओं और पुरुषों ने अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ी थी. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उभरे गीत और चिह्न विविधता के प्रति हमारा विश्वास बनाए रखते है.
हमारा संविधान- सम्पूर्ण भारत के लिए एक ही संविधान है. पूरे देश के लिए सामान नियम-कानून और एक ही नागरिकता है. भारत का संविधान राष्ट्रीय एकता को बढ़ाता है. भारत के राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न राष्ट्र गान और राष्ट्र गीत भी देश को एकता के सूत्र में पिरोते है.
सांस्कृतिक एकता- हमारे देश में सांस्कृतिक दृष्टि से सभी लोग भावनाओं के आधार पर एक दूसरे से जुड़े हुए है. हमनें सांस्कृतिक विविधता को अपना लिया है.
अपने क्षेत्र के खान-पान, नृत्य-गीत, त्योहार, वस्त्र आभूषण आदि के साथ साथ हमने दूसरे क्षेत्रों की भी इन्ही विशेषताओं को अपना लिया है. सब साथ मिलकर चलते है. एक धर्म के त्योहार मनाने में दूसरे धर्म के लोग भी उत्साह से सम्मिलित होते है.
क्षेत्रीय अंतः निर्भरता- भारत का हर क्षेत्र ओने यहाँ उत्पन्न वस्तु से दूसरे क्षेत्र की आवश्यकताओं की पूर्ती करता है एवं अनेक आवश्यकताओं के लिए स्वयं भी अन्य क्षेत्रों पर निर्भर है.
हमारे बाजार, कल-कारखाने, संचार, परिवहन और यातायात के साधन हमारी आवश्यकताओं को अंतःनिर्भरता में परिवर्तित करते है