Barish Ka pehla din Hindi mein
nibandh dikhao
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(निबंध)
बारिश का पहला दिन
बहुत दिनों से जबरदस्त गर्मी पड़ रही थी। गर्मी के मारे सब लोगों का बुरा हाल हो रहा था। सबको एक ही बात का इंतजार था कि बारिश कब होगी? बारिश का मौसम आ चुका था लेकिन बारिश का नामोनिशान नही था। अचानक एक दिन सुबह उठा तो देखा कि आसमान में काले-काले बादल छाए हुए थे। बादलों को देखकर सहज विश्वास नहीं हुआ। लेकिन ये देखकर खुशी भी हुई। फिर बादल धीरे-धीरे और घने होते गए। दोपहर होते-होते काली काली घटाएं छाने लगीं और हल्की बौछारें पड़ने लगी। यह देखकर मन प्रफुल्लित हो गया। बस थोड़ी देर में धुआंधार बारिश होने लगी। बस अपना मन मयूर नाच उठा और मन किया कि उस बारिश में जाकर मस्त होकर भीगने लगो। खुद को रोक नहीं पाया और बारिश में मदमस्त होकर भीगने लगा।
सब लोग बारिश के पहले दिन का आनंद लेने लगे। क्या पशु, क्या पक्षी, क्या मनुष्य सब खुशी से मदमस्त हो गये। बरसात निरंतर होती रही और सड़क पर पानी भरने लगा। छोटे-छोटे गड्ढे तालाब जैसे बन गये, बच्चे में उसमें कागज की नाव चलाने लगे।
पहले दिन की बारिश ने सबके मन को प्रफुल्लित कर दिया था, गरमी का प्रकोप कम होने से लोग खुश थे। किसान भाईयों की खुशी का ठिकाना ही नही था। कहीं-कहीं लोगों के घर में पानी भर गया था जिससे उन्हे असुविधा हुई लेकिन फिर भी सब लोग बारिश के आने से खुश थे। बारिश का वो पहला दिन मजेदार बन गया।