battery चालित rickshaw ke liye Vigyapan
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नगर में करीब 5 हजार ई रिक्शा चलते हैं। इनके बैटरा चार्ज कर रोज निगम को 23.60 रुपये प्रति रिक्शा यानि करीब 1.18 लाख रुपये की चपत बिजली निगम को लगती है, लेकिन निगम के अधिकारी कुछ नहीं बोलते।
शहर की सड़कों पर तीन पहियों वाले बैटरी चलित ई रिक्शा ही नजर आते हैं। इनमें से अधिकांश के रजिस्ट्रेशन भी नहीं है, फिर भी परिवहन विभाग के एक अधिकारी की दावा है कि कम से कम 5000 हजार ई रिक्शा शहर में दौड़ रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार एक ई रिक्शा में चार बड़े बैटरा लगते हैं। जिन्हें रोज चार्ज करने के लिए कम से कम पांच घंटे लगते हैं। जिसमें 8 यूनिट बिजली खर्च होती है। बैटरा चार्ज करने को बिजली निगम के अधिकारी बिजली का कामर्शियल प्रयोग मानते हैं।
कामर्शियल बिजली का रेट 7.35 रुपये प्रति यूनिट है जबकि घरेलू बिजली का रेट 4.40 रुपये प्रति यूनिट है। इससे साफ है कि एक यूनिट के खर्च पर 2.95 रुपये का चूना लगता है।
इस तरह 8 यूनिट खर्च करने पर एक ई रिक्शा मालिक उसके बैटरा चार्ज करने पर रोज करीब 23.60 रुपये की चपत निगम को लगाता है। शहर में 5000 ई रिक्शों के चार्ज होने पर लगभग 1.18 लाख रुपये की निगम को चपत लगता है। लेकिन अधिकारी बेफिक्र हैं।
इस संबंध में अधिशासी अभियंता बिजली निगम सचिन कुमार का कहना है कि हापुड़ शहर में सिर्फ चेनापुरी के एक ई रिक्शा चालक ने 5 किलोवाट का कामर्शियल कनेक्शन अपने बैटरा चार्ज करने की वजह से लिया है। लगता है कि पहले इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। वह अधिकारियों से वार्ता कर आवश्यक कार्रवाई करेंगे।