बबूल की बुरी आदत क्या थी?
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बबुल का पेड़ जिसे स्थानीय भाषा में देशी कीकर कहा जाता है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार इस पेड़ में भगवान विष्णु का निवास माना जाता है।प्राचीन समय में इस पेड की पुजा की जाती थी । इस पेड़ को काटना महापाप माना जाता है। जिस जगह यह पेड होता है वह जगह अत्यंत शुभ मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में यह पेड़ पाया जाता है कि वह घर हमेशा धन धान्य से परिपूर्ण रहता है। यह पेड़ एक मात्र पश्चिमी राजस्थान में पाया जाता है इस पेड़ की गिनती दुर्लभ क्षेणी में होती है ।बबूल का गोद औषधीय गुणों से भरपूर होता है तथा अनेक रोगों के उपचार में काम आता है |
हम आपको बता दे कि बबूल की फलिया कई रोगों को खत्म करती है, आज हम आपको बबूल की फलियों के फायदों के बारे में बताने वाले हैं।
दस्त दूर करने में
यदि किसी व्यक्ति को दस्त लग रहे है, तो ऐसे उसे बबूल की फलियों का सेवन कराए, यह दस्त की समस्या में रामबाण इलाज है, इसके लिए बबूल की 2 फली खिलाये और फिर छाछ पिला दे, दस्त की समस्या दूर होगी।
दांत दर्द को दूर करने
दांतों में दर्द रहने की समस्या किसी को भी हो सकती है, ऐसे में बबूल की फली की राख बनाकर इससे दांतों को साफ़ करे, तुरंत ही आराम मिलेगा।