Hindi, asked by yashikasuryavanshi00, 6 months ago

बच्चों, अभी तक आपने जाना कि रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा रचित 'बालगोबिन भगत' नामक पाठ समाज में व्याप्त कई रुढ़ियों एवं रीति-रिवाजों पर सीधे-सीधे प्रहार करता है। लेखक ने कई तरह के सामाजिक सुधारों का

पुरजोर समर्थन किया है - जैसे लैंगिक समानता, विधवा पुनर्विवाह, परोपकार आदि। दूसरी बात जो लेखक ने स्पष्ट किया है कि वेशभूषा या बाह्य-आडंबर से कोई साधु नहीं होता बल्कि अपने आचरण और व्यवहार से व्यक्ति साधु होता है। संन्यास का आधार जीवन के मानवीय सरोकार होते हैं न की बाहरी दिखावापन या टोंगा बालगोबिन भगत कबीर को मानने वाले हैं। कबीर निर्गुण पंथ के संत हैं। वे किसी भी प्रकार के कर्मकांड, पूजा पाठ, यज्ञ, नमाज-अजान में विश्वास नहीं रखते, बल्कि कर्म और व्यवहार में विश्वास रखते हैं। यही कारण है कि बालगोबिन भगत किसी पूजा पाठ, दाग या दिखावापन के बजाय अपने व्यवहार और कर्म पर बल देते हैं। इस पाठ की एक और विशेषता है - ग्रामीण जीवन का जीवंत वर्णना लेखक ने खेती-बारी, पशुपालन, ग्रामीण समाज का रहन-सहन और दिनचर्या का सजीव वर्णन इस पाठ किया है। पुतोहू. रोपनी, कनफटी, कलेवा आदि लौकिक (देशज) शब्दों के प्रयोग से पाठ का ग्रामीण परिवेश हमारी आँखों के सामने साकार हो जाता है।

गतिविधि - कुछ लौकिक (देशज) शब्दों के उदाहरण ऊपर दिए गए हैं। ऐसे ही कुछ लौकिक (देशज) शब्दों की सूची बनाइए
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Answered by aadevindermalak
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Answer:

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