Hindi, asked by nsidhu318, 3 months ago

बच्च बूढ़ा एक समान paragraph

Answers

Answered by himanshutopper
0

Answer:

कहते हैं बच्चा-बूढ़ा एक समान होता है. पर बुजुर्ग जब बच्चे के सामान अनुचित मांगें करते हैं तब आप उस स्थिति को कैसे सम्भालतें हैं?

Explanation:

पहले तो यह समझिये कि बच्चे-बूढ़े एक समान क्यों होते है. इससे आपको संभालने के तरीकों में खुद-ब-खुद बहतरी आने लगेगी..

1..बच्चों का मस्तिष्क विकास के दौर में रहता है..बुजुर्गों का ह्रास के

२…बच्चे कमज़ोर शरीर के साथ शुरू होते हुए सहजोर की तरफ बढ़ते हैं वहीं बुज़ुर्ग, ताकत के दौर से ढलती हुयी स्थिति में.

३…बच्चों के लिए हर घटना प्रायः नयी होती है और बुजुर्गों को दशकों का अनुभव.

4…बच्चे बीमार होते हुए भी हुल्लड़बाजी करते हैं लेकिन बुज़ुर्ग सतर्क हो जाते हैं.

५… बच्चे नाराज़ होकर फिर जल्दी ही खुश हो जाते हैं बुजुर्गों में किन्तु अभिमान रह जाता है.

६…बच्चे सामाजिकता, भेदभाव, जाति धर्म कुछ नहीं समझते हैं लेकिन बुज़ुर्ग इन दौर से गुज़र चुके होते हैं..

७…बच्चों में खतरनाक स्थिति का गुमान नही होता और किसी भी आशंकाओं से परे होते हैं वहीं बुज़ुर्ग शरीर कमजोरी का एहसास करके भीरु प्रकृति के होने लगते हैं.

८…बच्चों में तार्किक शक्ति नहीं या अल्प होती है तथा उनका अहम आड़े हाथो नही आता वहीं, बुज़ुर्ग अपनी उम्र, अनुभव आदि को सामने रख कर तर्क करते रहते हैं.

९..बच्चे रिश्तों पर अधिकार नहीं जमाते लेकिन बुज़ुर्ग हर मांग अधिकार से करते हैं.

10..बच्चों को दांत-फटकार कर रोका जा सकता है, बुजुर्गों को नहीं

इतने सारे कारण, बुजुर्गों की मांग या जिद को बच्चों की मांग या जिद से अलग रखते हैं इसलिए बच्चोंं की मांग और बुजुर्गों की मांग अनुचित होने पर भी बच्चों को रोका जा सकता है लेकिन बुजुर्गों के साथ समझौता किया जाता है, वह भी बड़ी सावधानी के साथ. बच्चे के आंसू और मन की पीड़ा तो आप लिपट कर, स्नेह देकर रोक सकती हैं लेकिन बुजुर्गों के साथ स्नेह आदर देकर भी किसी घटना की पीड़ा को उनके मन में रोक नहीं पाएंगी.

मुझे नहीं मालूम कि अनुचित मांगें क्या हैं जिनका ज़िक्र आप कर रही हैं लेकिन पहले यह देखिये कि कहीं आप गलत तो नहीं है? अगर स्वास्थ्य से सम्बंधित कोई खान-पान पर मांग है तो समझाइये और खान-पान में धीरे धीरे परिवर्तन करिए.

मैंने तो देखा है कि बुज़ुर्ग, मांगें ज़्यादा नही करते, चिडचिडाते ज़्यादा हैं. उन्हें व्यस्त रखिये. नाती-पोतों से बूढ़े खुश रहते हैं. पुरुष हैं तो उन्हें आस पास के और बुजुर्गों से मिलकर सवेरे टहलने के लिए कहिये. किताबें पढ़ना, बागवानी, मंदिर जाना, कीर्तन भजन आदि ऐसे कुछ कार्य हैं जिनमे उनका मन लग सकता है. कुछ करना ज़रूरी है ताकि थोड़ा थक सकें और अधिक आराम कर सकें.

बच्चे स्नेह और प्यार से समझते हैं और बुज़ुर्ग आदर से. उनके शौक क्या है, क्या पढ़ना चाहते हैं, क्या खाना चाहते हैं , किससे मिलना चाहते हैं ,उनपर ध्यान दीजिये अगर सुबह की चाय का शौक है तो एक कप देकर, हाथ में छड़ी थमा कर थोड़ा टहलने के लिए भेज दीजिये. उनके लिए समाचार चैनल लगा दीजिये. बच्चों को उनके पास खेलने के लिए छोड़ दीजिये उनके मन बहलाने का इंतज़ाम रखिये.

वैसे भी प्रशंसा चाहे झूठी ही सही (जिसे चाटुकारिता या अभद्र भाषा में तेल लगाना भी कहते हैं) बुजुर्गों के लिए बहुत काम आता है.

और अंत में दो बातें:-

1.. मुंशी प्रेमचंद की “बूढी काकी” ज़रूर पढ़िए..तथा

२…हम और आप भी बूढ़े होंगे..इसका ख़याल रखिये..

Mark my answer as brainliest amswer

Similar questions