बच्चों के भोलेपन के बारे में आप क्या सोचते हैं लिखकर बताइए
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बचपन के बारे में भारत में बीती सदी में जो विचार प्रभावशाली रहे हैं उन पर एक नज़र, और यह समझने की कोशिश कि इस नई सदी में बच्चों के पालन के लिए, उनकी शिक्षण पद्धति के लिए और राजनीति के लिए उन विचारों के क्या मायने हैं।बचपन को एक विश्लेषणात्मक शब्द के रूप में इस्तेमाल करने की हमारी क्षमता कई चीज़ों के ज्ञान की किस्म और मात्रा पर निर्भर है, जैसे अतीत और वर्तमान में बच्चों का पालन-पोषण, शिक्षण, बाल साहित्य और खुद बच्चों के बारे में हमारी जानकारी। ये बचपन का अध्ययन करने के बौद्धिक प्रयास के विशिष्ट क्षेत्र हैं और हमारी शैक्षिक संस्थाओं में इनमें से किसी को भी बहुत अच्छे ढंग से विकसित नहीं किया गया है। इसलिए, जब हम बचपन की चर्चा करते हैं तो हमें उन सीमाओं को ध्यान में रखना होगा जो ज्ञान की उपलब्धता द्वारा हमारे अध्ययन के लक्ष्यों के लिए निर्धारित कर दी जाती हैं। इन सीमाओं के एक प्रमुख आयाम का सम्बन्ध उन विविध प्रकार की परिस्थितियों से भी है जिनमें हमारे देश का बचपन जीता है।
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