Hindi, asked by 2407atharva, 9 months ago

बच्चे की फिक्र में माता पिता के बीच में होने वाले संवाद लीखिये.....




don't google it...there is no answer for it......i am giving you fifteen points if it is brainliest answer and i will mark you as brainliest and i will follow you also..... don't ignore it plz ​

Answers

Answered by Antiquebot
40

माँ : आज राहुल की परीक्षा का परिणाम आया है और मुझे ड़र है की अगर राहुल ऐसे ही पढ़ाई से जी चुराता रहा तो वह शायद अगली परीक्षा में पास भी ना हो।

पापा : इस बारे में राहुल से बात करनी पड़ेगी।वैसे उसका परिणाम कैसा रहा।

माँ : वह केवल पास ही हो पाया है, ज्यादा खास प्रदर्शन नहीं रहा है। उसकी अध्यापिका भी इस बारे में चिन्ता व्यक्त कर रही थी।

पापा : लगता है राहुल ना तो स्कूल में पढ़ाई पर ध्यान दे रहा है और ना ही घर पर। उसे मार्गदर्शन की ज़रूरत है, हमें उससे बात कर के देखनी चाहिए और उसे समझाने की भी ज़रूरत है।

माँ : शायद उसे कोई परेशानी हो? हमें अवश्य ही उससे इस बारे में बात करनी पड़ेगी। राहुल ने कभी इतना खराब प्रदर्शन नहीं दिया।

पापा : हाँ, कल सुबह उससे इस बारे में बात करेंगे।

please mark me as brainliest and give me more points

Answered by nitashachadha84
8

Answer:

Mark me as brainliest

Explanation:

w05 10/1 पेज 26-31

माता-पिताओ, आप अपने बच्चों के लिए कैसा भविष्य चाहते हैं?

“हे जवानो और कुमारियो . . . यहोवा के नाम की स्तुति करो।”—भजन 148:12, 13.

1. माता-पिता को अपने बच्चों के बारे में क्या-क्या चिंताएँ होती हैं?

कौन माँ-बाप अपने बच्चों के भविष्य की चिंता नहीं करता? बच्चे के पैदा होने से पहले ही माता-पिता को फिक्र होने लगती है कि क्या बच्चा तंदुरुस्त होगा? क्या वह एक सामान्य बच्चे की तरह बढ़ेगा? फिर जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है तो उनके सामने दूसरी चिंताएँ आ खड़ी होती हैं। मगर, आम तौर पर सभी माता-पिता अपने बच्चों के लिए वही चाहते हैं जो उनके लिए अच्छे-से-अच्छा हो।

2. आज बहुत-से माता-पिता क्यों चाहते हैं कि उनके बच्चे बड़े होने पर एक अच्छी ज़िंदगी का मज़ा लें?

2 लेकिन आज की दुनिया में, माता-पिता के लिए अपने बच्चों को वह सब देना बहुत मुश्‍किल है जो उनके लिए अच्छे-से-अच्छा है। बहुत-से माता-पिताओं ने ज़िंदगी में बहुत मुश्‍किल वक्‍त देखा है जैसे, युद्ध, सरकारों की उथल-पुथल, पैसे की तंगी, शारीरिक और भावनात्मक तकलीफें, वगैरह। तो यह स्वाभाविक है कि वे कभी नहीं चाहेंगे कि उनके बच्चों को भी ऐसे हालात का शिकार होना पड़े। दूसरी ओर, अमीर देशों में माता-पिता शायद अपने दोस्तों और रिश्‍तेदारों के लड़के-लड़कियों को देखें कि वे अपने करियर में उन्‍नति कर रहे हैं और उन्हें लगे कि वे ज़िंदगी में कितने कामयाब हैं। इसलिए शायद वे भी ऐसी हर चीज़ अपने बच्चों को मुहैया करने पर मजबूर महसूस करें ताकि जब उनके बच्चे बड़े हों तो वे काफी हद तक आराम की और परेशानियों से मुक्‍त ज़िंदगी यानी एक अच्छी ज़िंदगी का मज़ा ले सकें।

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