Hindi, asked by Lakshya000111, 1 year ago

बच्चो की परवरिश एवं शिक्षा मे माता पिता को किन चुनौतियो का सामना करना पड़ता है

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Answered by PARTHtopper
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आम तौर पर, बच्चे अपने माता-पिता से प्यार करते हैं और माता-पिता अपने बच्चों से। यह बात खासकर मसीही परिवारों में देखी जा सकती है। हालाँकि माता-पिता और बच्चे एक-दूसरे के साथ करीबी रिश्‍ता बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन कई बार उनके लिए आपस में बात करना मुश्‍किल हो जाता है। अगर वे आपस में खुलकर बात करते भी हैं, तब भी ऐसे कुछ विषय होते हैं, जिन पर कोई बात नहीं छेड़ता। ऐसा क्यों होता है? अच्छी बातचीत में क्या रुकावटें आ सकती हैं? और उन्हें कैसे पार किया जा सकता है?
एक चीनी कहावत है—जितनी सावधानी से छोटी मछली के व्यजंन पकाए जाते हैं, उतनी ही नजाकत से संभालना पड़ता है एक परिवार को।

चीन और जापान ने इस कहावत की बुनियाद को लगता है बहुत गंभीरता से ले लिया, यही वजह है कि आज की तारीख में जापान और चीन में बच्चों की संख्या लगातार घटती जा रही है। जापान में तो यह आलम है कि पिछले पंद्रह सालों में शादीशुदा दंपतियों ने अभिभावक बनने से लगभग इनकार कर दिया है।

हमारे यहां स्थिति अलग है। अभिभावक बच्चों की परवरिश यानी पेरेंटिंग को पिछले दो दशक से गंभीरता से लेने लगे हैं। मध्य वर्ग के अभिभावक आज भी अपने बच्चे की पैदाइश से ले कर उसके वयस्क होने तक उसकी हर उपलब्धियों पर अभिभूत रहते हैं।

माता-पिता की कोशिश रहती है कि वे अपने बच्चों को हर वो चीज मुहैया करवाएं, जो उन्हें हासिल नहीं हुई। चाहे वह अच्छे स्कूल में पढ़ाई हो, या वीडियो गेम्स, आलीशान बर्थडे पार्टी हो या विदेश की सैर। बच्चों को बिना मांगे बहुत कुछ मिल रहा है और बिना चाहे मिल रहा है अंधाधुंध प्रतियोगिता, माता-पिता की बढ़ती अपेक्षाएं और अपने आप को साबित करने का दबाव।
यही वजह है कि बाल मनोचिकित्सक डॉक्टर उमा बनर्जी कहती हैं, ‘आजकल के माता-पिता और बच्चों के बीच का व्यवहार मुझे असामान्य सा लगता है। माता-पिता अपने बच्चे को भगवान सा दर्जा दे कर उन्हें सिर पर बिठा कर रखते हैं। यही बच्चे जब अपनी मनमानी करने लगते हैं, तो माता-पिता हमारे पास आते हैं अपनी समस्या लेकर।’

आज के अभिभावक अपने समय में बिलकुल अलग जिंदगी जीते थे। संयुक्त परिवार। कई बच्चों की भीड़ में पल रहा बच्चा। समय पर खाना मिल जाता था और डांट भी। मां की भूमिका मूलत: घर संभालने की ही होती थी। बच्चों की परवरिश में उनका दखल न के बराबर रहता था। उस समय के अधिकांश पिता अपने बच्चों के साथ एक दूरी बना कर चलते थे। घर में एक अनुशासन बना रहता था। बच्चे अपनी रोजमर्रा की दिक्कतें या उलझनें अपने दोस्तों या अपने हमउम्र बच्चों से बांटते।
माता-पिता और बच्चों के बीच एक अनकही सी दूरी आज के समय में एकदम मिट गई है। आज के दौर के माता-पिता अपने आपको बच्चों का दोस्त कहलवाना पसंद करते हैं। वे चाहते हैं कि बच्चे हर बात उनसे शेअर करें, उनके बीच किसी किस्म की दूरी न रहे।


PARTHtopper: bhai brainliest bana do
PARTHtopper: please
Lakshya000111: i didn't understand
PARTHtopper: are mere answer को brainliest कर दो
Lakshya000111: what is this new thing brainliest
PARTHtopper: Jis ka answer tumne perfect लगता है usko brainliest कर दिया जाता hai
PARTHtopper: Jisse uska level up ho jaye
PARTHtopper: Aur Saath ही तुम्हें भी points milega
Lakshya000111: tell me how to do this because I am new user
PARTHtopper: Mere answer के ऊपर option aa rha hoga
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